प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 25-26 जुलाई की मालदीव यात्रा भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति के तहत एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है. इस यात्रा के दौरान मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुईज्जू को भारत की ओर से एक बड़ा तोहफा मिलने की संभावना है. ये तोहफा है- नई लाइन ऑफ क्रेडिट यानी LoC. यह कदम मालदीव की आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए भारत की रणनीतिक और आर्थिक सहायता को दर्शाता है.
लेकिन सवाल यह है कि आखिर लाइन ऑफ क्रेडिट क्या है और यह दोनों देशों के रिश्तों को कैसे प्रभावित करेगा? लाइन ऑफ क्रेडिट एक प्रकार का वित्तीय ऋण सुविधा है, जिसमें भारत सरकार किसी देश को बिना शर्त के एक निश्चित राशि तक ऋण देती है, जिसका उपयोग वह अपनी विकास परियोजनाओं या आर्थिक संकट से निपटने के लिए कर सकता है. मालदीव हाल के वर्षों में गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. उसके लिए यह कदम राहत भरा हो सकता है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस LoC को मोदी की यात्रा के दौरान अंतिम रूप दिया जा सकता है. मोदी मालदीव के राष्ट्रीय दिवस 26 जुलाई के अवसर पर वहां का दौरा कर रहे होंगे. इस मौके पर वह भारत द्वारा वित्त पोषित बुनियादी ढांचा और क्षमता निर्माण परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे.
मालदीव की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है, विशेष रूप से पर्यटन और व्यापार में कमी के कारण. भारत ने पहले भी मालदीव को LoC के जरिए सहायता दी है, जिसमें 56 परियोजनाओं को मंजूरी मिली. इनमें से 14 पूरी हो चुकी हैं. अब नई LoC इस साझेदारी को और मजबूत करेगी. लेकिन यह तोहफा केवल एकतरफा उदारता नहीं है.
क्यों मालदीव को भारत दे रहा LoC
भारत अपनी सामरिक रुचियों को देखते हुए हिंद महासागर क्षेत्र में प्रभाव बनाए रखना चाहता है, जहां चीन पहले से ही अपनी मौजूदगी मजबूत कर रहा है. मालदीव का भौगोलिक स्थान इसे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन का अहम हिस्सा बनाता है और भारत इसे अपने पड़ोसी देश के साथ संबंधों को गहराने के लिए एक अवसर के रूप में देख रहा है. हालांकि, इस कदम की आलोचना भी हो सकती है. कुछ विश्लेषक इसे भारत की ‘डॉलर डिप्लोमेसी’ के रूप में देखते हैं, जो मालदीव को आर्थिक रूप से भारत पर निर्भर बनाएगी. साथ ही, मालदीव में कुछ राजनीतिक धड़ों ने पहले भारत के बढ़ते प्रभाव को लेकर आपत्ति जताई थी, खासकर ‘इंडिया आउट’ अभियान के दौरान. मुईज्जू की सरकार भी पहले भारत-विरोधी रुख के लिए जानी जाती थी. लेकिन उसने भी हाल के महीनों में संबंध सुधारने की कोशिश की है. यह LoC उस दिशा में एक कदम हो सकता है.
क्या यह रिश्ता टिकाऊ होगा
लेकिन क्या यह रिश्ता टिकाऊ होगा? यह भविष्य के घटनाक्रमों पर निर्भर करेगा. मोदी की यात्रा का समय भी रणनीतिक है. यह उनकी तीसरी पारी का पहला मालदीव दौरा है और यह भारत की क्षेत्रीय नीति को मजबूत करने का संकेत देता है. मालदीव के साथ साझा हितों- जैसे समुद्री सुरक्षा, व्यापार और डिजिटल भुगतान प्रणाली UPI पर बातचीत होने की उम्मीद है.
इसके अलावा पिछले साल अक्टूबर में मुईज्जू की भारत यात्रा के बाद दोनों देशों ने ‘कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड मैरीटाइम सिक्योरिटी पार्टनरशिप’ की रूपरेखा बनाई थी, जिसे इस यात्रा में आगे बढ़ाया जा सकता है. हालांकि, भारत को सावधानी बरतने की जरूरत है. चीन का मालदीव में निवेश और प्रभाव पहले से मौजूद है और कोई भी गलत कदम भारत की स्थिति को कमजोर कर सकता है.