बेघर और कच्चे मकानों में रहने वाले लोगों को पक्की छत देने के लिए देश में बड़े पैमाने पर सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना चला रही है…इसके तहत करोड़ों की संख्या में बेघरों को घर भी मिल रहा है लेकिन मध्यप्रदेश के सतना में इस महत्वाकांक्षी योजना में पलीता लगाने का काम कर रहे हैं पंचायत और दूसरे अधिकारी. जी हां सतना के रामपुर बघेलान विकासखंड के अकौना गांव में कागजों पर सभी निवासियों के पास पक्के मकान हैं लेकिन हकीकत ये है कि ये सबकुछ बस कागजों पर हैं. असल में ये लाभार्थी अभी भी पन्नियों और खपरैलों से तैयार कच्चे मकानों में रख रहे हैं. यानी बाबुओं की मेहरबानी से सरकारी कागज में टारगेट पूरा लेकिन सच्चाई ये है कि उनकी हालत इस योजना के आने से पहले जैसी थी उससे भी खराब हो गई है.
इस अकेले ग्राम पंचायत में 28 ऐसे लाभार्थी हैं जिनके नाम पर पीएम आवास योजना स्वीकृत तो हुई लेकिन बाद में वे इसके अपात्र हो गए और जो अपात्र थे वे इसके पात्र हो गए. ऐसे ही कुछ मामलों का ग्राउंड पर जाकर हकीकत की छानबीन की. इस दौरान सामने आया कि ग्राम पंचायत के नोडल अधिकारी सचिव और रोजगार सहायक और दूसरे अधिकारियों ने मिलकर गजब का खेल किया है. जो पहले पात्र थे उन्हें इस आधार पर अपात्र बता दिया गया कि उनके पास तो पक्के मकान पहले से ही है. हमारी पड़ताल में इनमें से कई मामले सिरे से गलत पाए गए. बहरहाल आगे बढ़ने से पहले सतना जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना की हकीकत को भी जान लेते हैं फिर हमारी पड़ताल में सामने आई हकीकत से भी आपको रुबरू कराएंगे.
ग्राम पंचायत के नोडल अधिकारी सचिव और रोजगार सहायक ने अकौना गांव के ऐसे लोगों की सूची तैयार की है जो कि अपात्र की श्रेणी में रखे गए हैं. इस सूची में कल्लू रैकवार को पूर्व से लाभान्वित बताया गया. इसी प्रकार राम चरण कहार तथा फुलझरिया का भी नाम लाभ पा चुके लोगों में शामिल किया गया. जबकि अमृतलाल साहू, पवन साहू, सीता देवी, राजकुमार केवट, धर्मेन्द्र केवट, अवधेश सिंह, कौशल केवट, कृष्ण कुमार केवट को पक्का मकान का मालिक बताकर अपात्र कर दिया गया. अपात्रों की सूची में कई और नाम भी हैं- मसलन भगवान दीन, पुष्पेन्द्र सिंह, राजबहादुर सिंह, मोतीलाल सिंह, दयाराम रजक, राम सिंह, वीरेन्द्र सिंह, अजय सिंह बघेल, शिवेन्द्र सिंह और उमाकांत सिंह.जब इस मामले में पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले मामले सामने आए.
केस नंबर 1
रामसजीवन के बेटे कौशल केवट को पंचायत ने अपात्र बताया. इनकी आवास आईडी एमपी 113952870 और प्राथमिकता क्रम में स्थान 12वां है. जब उनके पास पहुंचा तो पाया कि वे मिट्टी के कच्चे मकान में रहते हैं. दो कमरे के इस मकान की छत भी खपरैल की है. उन्होंने बताया कि सचिव के द्वारा पिछले दिनों नाम काट दिया गया। मेरा घर कहां बना है जब मैं पूछता हूं तो कोई जवाब नहीं मिलता. पैसे भी ले लेते हैं आवास भी नहीं मिलता. बताते हैं कि पंचायत में बैठे कर्मचारी लोगों का हक मारकर चले जाते हैं शिकायत करने पर भी कुछ नहीं होता.