किसी भी देश के डिफेंस सिस्टम की मजबूती को उसकी आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की ताकत से आंका जाता है. आर्म्ड फोर्सेज के तीनों अंग जितना आधुनिक और अपग्रेड होंगे, वे देश दुश्मनों में उतना ही भय और डर पैदा करने में सक्षम होंगे. ग्लोबल स्टेज पर उसका दबदबा और रसूख भी उतना ही ज्यादा प्रभावी होगा. अमेरिका, रूस, चीन जैसे देश न सिर्फ बड़ी इकोनॉमी हैं, बल्कि इनका डिफेंस सिस्टम भी उतना ही मजबूत है. भारत भी अब टॉप इकोनॉमी वाला देश बन गया है, जिसका असर डिफेंस सिस्टम पर भी देखा जा सकता है. आज का भारत अपने दम पर पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट बनाने की तैयारी में जुटा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 के साथ ही स्वदेशी आकाश एयर डिफेंस सिस्टम ने भी अपनी ताकत दिखाई. ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का फायर पावर देख दुनिया भौंचक्की रह गई. पाकिस्तान ने एक ही झटके में घुटने टेक दिया. इस दौरान एयरफोर्स के अविश्वसनीय महत्व का भी पता चला. साथ ही कुछ कमियां भी सामने आईं, जिन्हें पूरा करने के लिए सरकार ने खजाने का मुंह खोल दिया है. खरीद प्रक्रिया को आसान बनाया गया है, ताकि इमरजेंसी परचेज में किसी तरह की बाधा पैदा न हो. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है देश को हर तरफ और हर तरह के दुश्मन से महफूज रखने के लिए एयरफोर्स को फाइटर जेट की 41 स्क्वाड्रन की जरूरत है, जबकि उपलब्ध 31 स्क्वाड्रन है. नेशनल डिफेंस की इस कमी को दूर करने के लिए सरकार ने कमर कस ली है. एक तरफ फाइटर जेट खरीदे जा रहे हैं तो दूसरी तरफ स्वदेशी तकनीक से लड़ाकू विमान बनाने के प्रोजेक्ट को भी रफ्तार दी जा रही है. फिलहाल तेजस Mk-1A के अपग्रेडेड वर्जन तेजस Mk-2 नेक्स्ट जेनरेशन फाइटर जेट को डेवलप किया जा रहा है. चार से पांच साल में इसके इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO के सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर रविशंकर एसआर ने हाल में ही बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम में तेजस Mk-2 फाइटर जेट को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने दावा किया कि नेक्स्ट जेनरेशन फाइटर जेट तेजस Mk-2 आधुनिक तकनीक और वेपन सिस्टम से लैस होगा जो इसे फ्रांस की डिफेंस कंपनी डसॉल्ट द्वारा डेवलप राफेल लड़ाकू विमान के टक्कर का बनाएगा. कुछ डिफेंस एक्सपर्ट को तो यह भी मानना है कि तेजस Mk-2 कई मायनों में राफेल मल्टीरोल एयरक्राफ्ट से भी ज्यादा मॉडर्न और घातक होगा. टेक्नोलॉजिकल स्टैंडर्ड के आधार पर देखें तो इस दावे में दम दिखता है. रडार से लेकर विंगफ्रेम, वजन, पेलोड कैपेसिटी, मिसाइल इंटीग्रेशन और टारगेट को पता लगाने के मामले में तेजस Mk-2 फाइटर जेट राफेल पर भारी दिखता है. सबसे बड़ी बात यह है कि तेजस Mk-2 जेट को स्वदेशी तकनीक से डेवलप किया जा रहा है. इस तरह यह राफेल के मुकाबले काफी किफायती भी है. साथ ही देश में विकसित हथियार और मिसाइल को इसके साथ इंटीग्रेट करने में भी कोई परेशानी नहीं होगी. बता दें कि अन्य देशों से खरीदे गए फाइटर जेट में देसी वेपन को इंस्टॉल करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सोर्स कोड शेयर न होने की वजह से अन्य तरह की दिक्कतें भी पेश आती हैं. हाल में इसका एक नमूना देखने को मिला, जब ब्रिटिश F-35 लड़ाकू विमान की केरल में इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई. ब्रिटेन ने इसे अमेरिका से खरीदा है. तमाम कोशिशों के बावजूद इस फाइटर जेट को ब्रिटिश इंजीनियर ठीक नहीं कर सके. अब इसे टुकड़ों में वापस ले जाने की तैयारी है. एफ-35 लड़ाकू विमान में आई यह दिक्कत इंपोर्टेड फाइटर जेट की समस्या को एक बार फिर से दुनिया के सामने लाकर रख दिया है. ऐसे में भारत के लिए देसी फाइटर जेट डेवलप करना जरूरी हो गया है.
तेजस Mk-2 फाइटर जेट, भारत की तकनीकी ताकत
तेजस Mk-2 नेक्स्ट जेनरेशन फाइटर जेट है. यह तेजस Mk-1A का उन्नत संस्करण है. तेजस Mk-2 जेट इंजन वेपन और रडार सिस्टम के मामले में पूर्व के तेजस विमान से कहीं आगे है. इसे इंडियन एयरफोर्स की जरूरतों के हिसाब से डेवलप किया जा रहा है, ताकि यह आने वाले साल में जगुआर और मिराज-200 जैसे लड़ाकू विमान के बेड़े को रिप्लेस कर सके. स्वभाविक है कि यह जगुआर और मिराज-2000 जैसे जेट से कहीं ज्यादा अपग्रेड और एडवांस है. हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और डीआरडीओ तेजस Mk-2 को इस तरह से डेवलप कर रहा है कि यह एयरफोर्स की मॉडर्न और मल्टीरोल जरूरतों को पूरा कर सके. ऐसे में इस फाइटर जेट में कई ऐसी तकनीक को एड किया गया है, जो इसे तेजस एमके-1ए से ज्यादा ताकतवर और एडवांस बनाता है.
रिपोर्ट्स की मानें तो तेजस Mk-2 वजन और इंजन के मामले में मौजूदा राफेल फाइटर जेट से कहीं ज्यादा एडवांस होगा. तेजस Mk-2 में अमेरिकी जेट इंजन निर्माता कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा डेवलप F414-INS6 का इस्तेमाल किया गया है. यह इंजन 98 kN (किलो न्यूटन) का थ्रस्ट देने में सक्षम है. बता दें कि जो जेट इंजन जितना ज्यादा थ्रस्ट प्रोड्यूस करता है, उस एयरक्राफ्ट की रफ्तार उतनी ज्यादा होती है. तेजस Mk-1A में 80 से 85 kN थ्रस्ट पैदा करने वाला इंजन लगाया गया है. दूसरी तरफ, राफेल जेट में दो साफ्रान M88 इंजन का इस्तेमाल किया गया है. जानकारी के अनुसार, साफ्रान M88 इंजन जेट को 75 kN का थ्रस्ट देने में सक्षम है. वजन की बात की जाए तो हल्के एयरफ्रेम के साथ तेजस Mk-2 जेट का वजन 13.5 टन (13,500 किलोग्राम) है. वहीं, राफेल फाइटर जेट का वेट 15.3 टन यानी 15,300 किलो है. कम वजन तेजस Mk-2 को ज्यादा रफ्तार के साथ दुश्मनों पर अटैक करने में सक्षम बनाता है.
वेपन सिस्टम और कॉम्बैट रेंज के मामले में तेजस Mk-2 जेट डसॉल्ट द्वारा डेवलप राफेल लड़ाकू विमान से ज्यादा उन्नत होने वाला है. राफेल जेट में दुनिया की सबसे खतरनाक और घातक मिसाइल में शुमार ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल फिलहाल फिट नहीं किया जा सकता है. इस दिक्कत के चलते ऑपरेशन सिंदूर के दौरान Su-30MKI से पाकिस्तान पर ब्रह्मोस मिसाइल दागनी पड़ी थी. यदि राफेल इसमें सक्षम होता तो दुश्मन के सीने पर और गहरे जख्म दिया जा सकता था. वहीं, तेजस Mk-2 में ब्रह्मोस मिसाइल के नेक्स्ट जेनरेशन को इंटीग्रेट करना आसान होगा. इसके अलावा देसी महाबली फाइटर जेट में घातक अस्त्र MK-2 मिसाइल भी इंस्टॉल किया जा सकेगा. जानकारी के अनुसार, तेजस Mk-2 6,500 किलोग्राम पेलोड के साथ उड़ान भरने में सक्षम होगा. तेजस Mk-2 का कॉम्बैट रेंज 2500 किलोमीटर होगा. ऐसे में चीन और पाकिस्तान को मुकम्मल और तरीके से जवाब देना संभव होगा. राफेल जेट का कॉम्बैट रेंज 1850 किलोमीटर है. तेजस Mk-2 फाइटर जेट AESA रडार सिस्टम से भी लैस होगा, जिससे टारगेट को 200 किलोमीटर दूर से ही पता लगाना संभव हो सकेगा. ऐसे में एयरफोर्स की अटैकिंग पावर काफी बढ़ जाएगी.