केंद्र सरकार इस बार जाति आधारित जनगणना कराने जा रही है. इससे पहले देश में निजी क्षेत्र में जाति आधारित आरक्षण लागू करने मांग जोर पकड़ने लगी है. इसी कड़ी में रायपुर दौरे पर मंगलवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि निजी क्षेत्र में जाति आधारित आरक्षण लागू किया जाना चाहिए.
‘त्रि-भाषा’ नीति के कार्यान्वयन पर आदेश वापस लेने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले की सराहना करते हुए, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के प्रमुख अठावले ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार ने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू होने से पहले आदेश को रद्द करके ‘छक्का’ मार दिया है.
निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अठावले ने जाति जनगणना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला बताया. वहीं, निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू किए जाने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह हमारी मांग रही है. मैंने, रामविलास पासवान और उदित राज (जब वह भाजपा में थे) एक साथ मांग की थी कि निजी क्षेत्र में आरक्षण दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब सरकारी उद्योगों का निजीकरण किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में बाल्को कंपनी का भी निजीकरण किया गया. निजी क्षेत्र में कोई आरक्षण नहीं है, जबकि हम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (सरकारी क्षेत्र में) को आरक्षण देते रहे हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा, हालांकि मैं सरकार में हूं, लेकिन मेरी पार्टी की मांग है कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए.”
जाति जनगणना मोदी जी का ऐतिहासिक फैसला
जाति जनगणना के फैसले के बारे में पूछे जाने पर अठावले ने कहा कि जाति जनगणना मोदी जी का ऐतिहासिक फैसला है. कांग्रेस के कार्यकाल में ऐसा नहीं हुआ. मैंने कई बार मांग की थी कि ओबीसी की जनगणना होनी चाहिए. यह मांग काफी उठाई गई है. जब मैं लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के साथ था, तब भी मैंने मांग की थी कि हर जाति की जनगणना होनी चाहिए जिससे हर जाति की जनसंख्या का प्रतिशत पता चल सके. उनमें से कितने लोग रोजगार करते हैं, कितनों के पास उद्योग हैं, उनके पास कितनी कृषि भूमि है, यह सब जनगणना से पता चलेगा. जाति जनगणना से सरकार को उन्हें सुविधाएं देने में मदद मिलेगी.