किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के किसान पानी की कमी से जूझ रहे हैं. इसके साथ ही, डीएपी खाद के लिए सोसायटी के चक्कर भी लगाने पड़ रहे हैं. खाद नहीं मिलने के चलते किसानों की फसलों पर असर पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि अगर उनकी परेशानी कम नहीं हुई, तो उनके अनाज के बोअनी पर भी गहरा असर पड़ सकता है.
समितियों में खाद नहीं
जिले के 102 सहकारी सोसाइटियों के माध्यम से राज्य सरकार की ओर से किसानों को खेती करने के लिए 0% ब्याज दर पर उन्हें खाद और बीज दिया जाता है, लेकिन कई समिति में डीएपी खाद के साथ धान के बीज नहीं होने के कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसान किसी तरह से बाजार से बीज तो इकट्ठा कर रहे हैं, लेकिन उन्हें डीएपी खाद के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.
खुले बाजार मिल रहा डीएपी
सोसाइटी में खाद नहीं है, लेकिन खुले बाजार में आसानी से डीएपी खाद मिल रहा है. व्यापारी इसमें जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं. इसको लेकर किसानों ने सवाल खड़े किए हैं. लेकिन, जिला प्रशासन के अलग ही दावे हैं.
जिला प्रशासन ने क्या कहा?
बेमेतरा जिला प्रशासन का डीएपी खाद की किल्लत को लेकर कहना है कि जिले में समितियों में पर्याप्त खाद पहले से रखा जा चुका है. लेकिन, वास्तविक स्थिति सोसाइटी में कुछ और है. छत्तीसगढ़ के पूर्व कृषि मंत्री वह वरिष्ठ कांग्रेस नेता रविंद्र चौबे ने कहा कि पहले 80% खाद सोसाइटी को दिया जाता था और महज 20% खुले बाजार में दिया जाता था. लेकिन इस सरकार में उल्टा हो रहा है और यह सरकार बहाने बना रही है.