भारत अब हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी पर तेज़ी से काम कर रहा है. उन्होंने कहा, “हम इस दिशा में शुरुआती सफलताएं हासिल कर चुके हैं. अगले दो से तीन साल में इसका फाइनल ट्रायल पूरा हो जाएगा. उसके बाद इसे सेना में शामिल कर लिया जाएगा.”
डीआरडीओ चीफ ने बताया कि यह मिसाइल हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) पर आधारित है, जिसका सफल परीक्षण भारत ने 2020 में ही कर लिया था. वहीं, पिछले साल नवंबर में ओडिशा में डीआरडीओ ने पहली बार लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया.
यह मिसाइल अपनी रफ़्तार, तकनीक और मारक क्षमता के चलते दुनिया की चुनिंदा सबसे ख़ास मिसाइलों में गिनी जा रही है. आज की तारीख में हाइपरसोनिक तकनीक केवल तीन-चार देशों के पास ही है.इतनी तेज़ स्पीड की वजह से दुश्मन के रडार इसे पकड़ ही नहीं पाएंगे. जब तक दुश्मन को इस मिसाइल की भनक लगेगी, तब तक यह अपने टारगेट को तबाह कर चुकी होगी. यानी दुश्मन को प्रतिक्रिया देने का वक़्त तक नहीं मिलेगा.हाल ही में डीआरडीओ ने इस मिसाइल के लिए 1000 सेकंड तक स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया है. यह इंजन हवा से ही ऑक्सीजन लेकर ईंधन जलाता है और यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है.यह एक क्रूज़ मिसाइल है, यानी बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान भरेगी, जिससे इसे ट्रैक करना और रोकना बेहद मुश्किल हो जाएगा. यह उड़ान के दौरान रास्ता भी बदल सकती है. बस टारगेट लॉक कीजिए — और फिर निश्चिंत हो जाइए.इसकी संभावित रफ़्तार 6000 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है और रेंज लगभग 2000 किलोमीटर, जो दुश्मन की नींद उड़ाने के लिए काफ़ी है.बस आदेश दीजिए — और फिर देखिए, पाकिस्तान या चीन में ये चंद मिनटों में कैसी तबाही मचा सकती है. इस रफ़्तार की मिसाइल को रोक पाना लगभग नामुमकिन है. यानी दुश्मन को तबाही से कोई नहीं बचा सकता.