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फिर लगेगा लॉकडाउन! अगले 28 दिन में क्या होने वाला है, कोरोना की चौथी लहर के लिए तैयार रहने की जरूरत?

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देश में एक बार फिर कोरोना वायरस के मामले धीरे-धीरे बढ़ते दिख रहे हैं. केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में नए मामलों की संख्या चिंता का कारण बनती जा रही है. इस बीच, वैज्ञानिकों ने भी कोरोना के संभावित चौथे दौर को लेकर गंभीर चेतावनी दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि नए वैरिएंट्स JN.1 और NB.1.8 भारत में तेजी से फैल सकते हैं और यह संक्रमण आगामी तीन से चार सप्ताह में अपने चरम पर पहुंच सकता है.

तेजी से बढ़ रहा है JN.1 का प्रभाव

वैज्ञानिकों ने बताया कि कोरोना का नया सब-वैरिएंट JN.1, जो पहले सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और अमेरिका में फैल चुका है, अब भारत में भी पांव पसार रहा है. प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, आने वाले 21 से 28 दिनों में यह वैरिएंट अपने पीक पर पहुंच सकता है. इसके बाद मामलों में गिरावट आनी शुरू होगी.

कोरोना की हर लहर का अलग समयचक्र

आपको बता दें कि कोरोना की हर लहर का समय अलग रहा है. पहली लहर में लॉकडाउन के चलते संक्रमण की रफ्तार धीमी रही और यह लहर लगभग 60 दिनों तक चली. दूसरी लहर सिर्फ 21 दिनों में पीक पर पहुंच गई थी, जबकि तीसरी लहर ने लगभग 28 से 32 दिन तक सक्रियता दिखाई. इसी पैटर्न को देखते हुए वैज्ञानिक मान रहे हैं कि इस बार भी संक्रमण तेज़ी से फैल सकता है, लेकिन इसका असर सीमित समय तक रहेगा.

नए वैरिएंट की गंभीरता को लेकर शोध जारी

BHU की रिसर्च टीम नए वैरिएंट्स JN.1 और NB.1.8 की घातकता का अध्ययन कर रही है. इसके लिए जीनोम सिक्वेंसिंग को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि वायरस के म्यूटेशन और संभावित खतरे का समय रहते पता लगाया जा सके. वैज्ञानिकों का मानना है कि दूसरी लहर के दौरान जो अल्फा और अन्य वैरिएंट सामने आए थे, उन्होंने बड़े पैमाने पर कम्युनिटी ट्रांसमिशन फैलाया था, जिससे हजारों जानें गईं.

सीवेज सैंपल से मिलेगी भविष्य की चेतावनी

बीएचयू की टीम जल्द ही वाराणसी के विभिन्न इलाकों से सीवर सैंपल इकट्ठा करेगी. इन नमूनों की जांच से यह पता लगाया जाएगा कि वायरस की कितनी कॉपी इन सैंपल्स में मौजूद है. इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या एक बार फिर से कम्युनिटी स्प्रेड का खतरा मंडरा रहा है.