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हर दिन लगता था, ये आखिरी खाना है…’ हिटलर का भोजन चखने वाली महिला की आपबीती ने खोले कई राज

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14 महिलाओं को हिटलर का खाना खाने का काम सौंपा गया था, ताकि यह जांचा जा सके कि वह सुरक्षित है या नहीं. 2013 में बर्लिन की रहने वाली 95 वर्षीय मार्गोट वडेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक वोल्क का 2014 में निधन हो गया. उन्होंने सारी बातें एक इंटरव्यू के दौरान कही थी.

2013 में बर्लिन की रहने वाली 95 वर्षीय मार्गोट वोल्क ने दशकों की चुप्पी तोड़ते हुए दावा किया था कि उन्हें और 14 अन्य महिलाओं को हिटलर का खाना खाने का

स्वादिष्ट भोजन खाने में भी लगता था डर
वोल्क ने बताया कि इतने स्वादिष्ट भोजन करने के बावजूद हमेशा डर लगा रहता था.  हम जहर देने की सभी अफवाहों के बारे मजानते थे और इसलिए कभी भी भोजन का आनंद नहीं ले पाए. हर दिन हमें डर लगता था कि यह हमारा आखिरी भोजन होगा. वोल्क ने दावा किया कि हिटलर के साथ वह तक जुड़ीं

जब वह मित्र देशों के हवाई हमलों से बचने के लिए बर्लिन से भागीं.

जर्मन सेना में काम करते थे वोल्क के पति
उनके पति जर्मन सेना में सेवारत थे और वह जरउनके पति जर्मन सेना में सेवारत थे और वह जर्मनी के तत्कालीन रास्टेनबर्ग में अपने रिश्तेदारों के पास रहने चली गई थीं. उन्होंने बताया कि उन्हें नागरिक से… कभी सामने से हिटलर को नहीं देखा
वोल्क ने दावा किया कि उसने हिटलर को कभी व्यक्तिगत रूप से नहीं देखा. उसने केवल तानाशाह के जर्मन शेफर्ड कुत्ते ब्लोंडको देखा और उसके एसएस गार्ड से बात की. अपनी सुरक्षा को लेकर हिटलर की आशंका, उन पर किये गए हमले के कई प्रयासों से उपजी थी.

हिटलर को हुआ था मारने का प्रयास
वोल्क ने कहा कि हिटलर को मारने की एक योजना सफल होने के सबसे करीब थी, उसे अब 20 जुलाई की साजिश या ऑपरेशन वाल्किरी के नासे जाना जाता है. इसमें जर्मन अधिकारी क्लॉस वॉन स्टॉफ़ेनबर्ग के नेतृत्व में षड्यंत्रकारियों ने एक ब्रीफकेस में छिपाए गए बम से हिटलर की हत्या करने की कोभाग्य और समय की बदौलत तानाशाह केवल मामूली चोटों के साथ बच गया.