देशभर में इन दिनों साइबर ठगी का मामला तेजी से बढ़ता जा रहा है. हालांकि इस दौरान साइबर ठग ठगी का पैसा खपाने के लिए नई-नई जगहों की तलाश में लगे हुए हैं. एक तरफ जहां झारखंड के जामताड़ा में साइबर ठगों का बड़ा अड्डा है तो वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भी अब ठगों के पसंददीदा जगहों में से एक हो गया है.
यहां ठगों ने ना केवल एक साल 5 हजार अकाउंट खोले हैं. बल्कि उसमें 1800 करोड़ रुपये के लेन-देन भी किए हैं. साइबर सेल की जांच में इसका खुलासा हुआ है. इसके बाद पुलिस ने करीब दो हजार म्यूल अकाउंट बंद करवाया गया है. वहीं अभी तीन हजार खातों की तलाश की जा रही है. इस मामले में कई छोटे बैंक भी घेरे में हैं. केवल राजधानी में इतने म्यूल अकाउंट मिले तो पुलिस और साइबर सेल ने जांच का दायरा बढ़ाया.
इसके बाद पता चला कि यहां इस तरह के खाते खोलने के लिए एक संगठित रैकेट काम कर रहा है, जो पैसों का लालच देकर लोगों के डॉक्यूमेंट्स ले लेते हैं और फिर खाता खुलवाते हैं. किसी को एक बार में पैसा दे दिया जाता है तो किसी को 10-12 हजार रुपये प्रति माह कमीशन के तौर पर दिया जाता है. स्कूल और कॉलेज के छात्र भी 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक लेकर खाता किराए पर दे रहे हैं.
इसके अलावा यह भी जानकारी मिली है कि पिछले एक साल में 11000 से ज्यादा सिम से राज्य के अलग-अलग इलाकों में ऑनलाइन ठगी की गई है. ये आंकड़ा भी केवल रायपुर रेंज का है. आईजी रायपुर रेंज अमरेश मिश्रा ने कहा कि एक ट्रांजैक्शन की जांच करने बैंकों से 20-20 खातों की जानकारी लेनी पड़ रही है. अलग-अलग खातों में पैसा जमा करने के बाद उन पैसों को मल्टीपल खातों में ट्रांजेक्शन करते हैं या पैसा जमा करते हैं. ताकि पुलिस आसानी से उन्हें ट्रेस ना कर सके. रायपुर में अभी तक 120 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.