महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव हारने के बाद विपक्ष में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (दीदी) ने दावा किया कि अगर उन्हें इंडिया अलायंस की कमान दी जाती है तो वो संभालने के लिए तैयार हैं. इसके बाद एक के बाद एक नेताओं के बयान आने लगे. कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए कहा कि राहुल गांधी (भैया) के अलावा कोई और विपक्ष का नेता नहीं हो सकता. लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव और राजद के नेता तेजस्वी यादव की बात सुनकर कांग्रेस को झटका जरूर लगेगा. शरद पवार की पार्टी भी विरोध पर उतरी.
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्त उदयवीर सिंह ने सुझाव दिया कि अगर ममता कमान संभालने के लिए तैयार हैं, उनकी बातों पर विचार करना चाहिए. उन्होंने टीएमसी को 100 फीसदी सपोर्ट देने की बात कही. उदयवीर सिंह ने कहा, अगर ममता बनर्जी ने को इच्छा जताई है तो इस पर इंडिया अलायंस के दलों को विचार करना चाहिए और उन्हें समर्थन देना चाहिए. इससे अलायंस मजबूत होगा. ममता बनर्जी बंगाल में भाजपा को रोकने में कामयाब रही हैं. हमें उनसे सहानुभूति है. उनसे हमारा भावनात्मक रिश्ता पहले से है. सपा नेता ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, चाहे हरियाणा हो या महाराष्ट्र, जहां भी सरकार नहीं बन पाई, वहां कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी थी. अगर कामयाबी नहीं मिली, तो यह विफलता उन्हीं की है.
आरजेडी के नेता क्या दे गए संकेत
तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी ने अलग ही राग अलापा. आरजेडी के प्रवक्त मृत्युंजय तिवारी ने कहा, लालू यादव की पहल पर विपक्षी गठबंधन की पहली बैठक हुई थी. बीजेपी के खिलाफ गठबंधन के असली सूत्रधार लालू यादव हैं. सभी अपने-अपने राज्यों में भाजपा के खिलाफ लड़ रहे हैं. ममता बजर्नी पश्चिम बंगाल में बीजेपी के खिलाफ मजबूती से खड़ी हैं. अब 2025 में बिहार की बारी है. आरजेडी के नेता का साफ संकेत है कि कमान बिहार के नेता को मिलनी चाहिए.
सीपीआई का क्या रुख
सीपीआई महासचिव डी राजा ने कहा, कांग्रेस को आत्मचिंंतन करने की जरूरत है. उसने हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों में इंडिया अलायंस के दलों को साथ नहीं लिया. कांग्रेस ने अगर गठबंधन सहयोगियों की बात सुनी होती तो महाराष्ट्र और हरियाणा में वो नतीजे नहीं होते, जो आज देखने को मिले हैं.