छत्तीसगढ़ : झीरम नक्सली कांड, राज्य सरकार का दावा, जल्द ही विधानसभा के पटल पर सार्वजनिक की जाएगी रिपोर्ट…
उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने दावा किया है कि आने वाले समय में विधानसभा के पटल पर रिपोर्ट रखी जाएगी। बतादें प्रदेश में 11 वर्ष पहले 25 मई 2013 को झीरम नक्सली कांड में कांग्रेस के नेताओं की एक पूरी पीढ़ी खत्म हो गई थी।
राज्य सरकार का दावा, जल्द ही विधानसभा के पटल पर सार्वजनिक की जाएगी रिपोर्ट, नक्सल मामले में न्यायिक जांच आयोग में से पांच की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी…
नक्सल मामले में छत्तीसगढ़ में अब तक गठित छह न्यायिक जांच आयोग में से पांच की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जा चुकी है। इनमें केवल झीरम घाटी हमला कांड की रिपोर्ट अटकी हुई है। हालांकि झीरम घाटी हमले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने छह अक्टूबर 2021 में तात्कालिक राज्यपाल अनुसुईया उइके को 4,184 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी।
यह रिपोर्ट 10 खंडों में विभाजित दी मगर कांग्रेस की भूपेश सरकार ने आयोग की रिपोर्ट को अधूरी बताते हुए इसे मानने से इंकार कर दिया था। इसके बाद न्यायिक जांच आयोग में पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश अग्रिहोत्री को आयोग का अध्यक्ष और न्यायमूर्ति जी. मिन्हाजुद्दीन को आयोग का सदस्य बनाया गया। भूपेश सरकार ने तीन नए बिंदुओं को जोड़ते हुए आयोग को छह महीने में जांच पूरी कर आयोग को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिया। इसके बाद भी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो पाई।
मामले में उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने दावा किया है कि आने वाले समय में विधानसभा के पटल पर रिपोर्ट रखी जाएगी। बतादें प्रदेश में 11 वर्ष पहले 25 मई 2013 को झीरम नक्सली कांड में कांग्रेस के नेताओं की एक पूरी पीढ़ी खत्म हो गई थी। 32 लोग मारे गए थे। इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित किया गया।
इसके अलावा अन्य नक्सली घटनाएं काफी चर्चित रहीं है।
इनमें सारकेगुड़ा में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई कथित मुठभेड़ की जांच रिपोर्ट जस्टिस अग्रवाल आयोग द्वारा पिछले साल 17 अक्टूबर 2019 को प्रदेश शासन को सौंपी जा चुकी है।साथ ही श्यामगिरी नक्सल कांड, ताड़मेटला आगजनी कांड, मदनवाड़ा कांड और एड़समेटा कांड की न्यायिक आयोग जांच रिपोर्ट भी सरकार को दी जा चुकी है। इन घटनाओं में सुरक्षा बल के जवानों, जनप्रतिनिधियों से लेकर आम जन तक बलिदान हुए हैं। सबसे चर्चित घटना छह अप्रैल 2010 को सुकमा जिले के ताड़मेटला की है, जहां 76 जवानों की शहादत हुई थी।