छत्तीसगढ़ : बस्तर, कांकेर, राजनांदगांव, महासमुंद लोकसभा सीटों पर चुनाव संपन्न हो चुके हैं। इस दौरान कई बातें अहम बातें खुलकर सामने आई है जानिए।
छत्तीसगढ़ में पहले चरण में बस्तर और दूसरे चरण में कांकेर, राजनांदगांव, महासमुंद लोकसभा सीटों पर चुनाव संपन्न हो चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में पहले चरण में बस्तर और दूसरे चरण में कांकेर, राजनांदगांव, महासमुंद लोकसभा सीटों पर चुनाव संपन्न हो चुके हैं। इन चार लोकसभा सीटों पर जनता ने अपना निर्णय सुना दिया है। बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला भी कर दिया है। प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है। 4 जून को नतीजों के साथ ही इसका खुलासा भी हो जायेगा।
इस दौरान कई बातें अहम बातें खुलकर सामने आई है।
पहले चरण में बस्तर में लोकसभा चुनाव हुआ। वहां तमाम कारण थे। बस्तर बीजेपी का गढ़ रहा है। वर्ष 1952 के चुनाव के बाद देखें तो सबसे ज्यादा निर्दलीय जनप्रतिनिधि वहीं से चुनकर आए हैं,
लेकिन छत्तीसगढ़ बनने के बाद वहां पर बीजेपी का दबदबा रहा है।
बीजेपी नेता बलिराम कश्यप के बाद उनके बेटे दिनेश कश्यप का लंबे समय तक इस क्षेत्र में दबदबा रहा। साल 2019 में मोदी लहर के बावजूद पहली बार यह सिलसिला टूट और कांग्रेस ने बस्तर सीट पर कब्जा की। दीपक बैज यहां से सांसद बने। इसी तरह कोरबा में भी चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत सांसद बनीं। फिलहाल बस्तर में जल, जंगल, जमीन,वनोपज, आरक्षण आदि आदिवासियों के मुद्दे हैं। कांग्रेस के लिए इस सीट को बरकरार रखने की चुनौती है। उन्होंने अपने पुराने मंत्री कवासी लखमा को चुनानी मैदान में उतारा है। वह बस्तर के लालू कहे जाते हैं। उनकी अपनी टीआरपी है। लोग उन्हें पहचानते हैं, जानते हैं इसलिए बस्तर की सीट को बचाने के लिए कांग्रेस जद्दोजहद कर रही हैं। दूसरी और भाजपा बस्तर समेत राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर में कब्जा करना चाहती है। बस्तर, राजनांदगांव, महासमुंद तीनों सीटें आरएसएस की आधार कार्ड रही हैं। आरएसएस ने यहां हार-जीत की जिम्मेदारी ली है। सेकंड फेस में राजनांदगांव में बीजेपी ने संतोष पांडेय पर दोबारा विश्वास जताया है।
उन्होंने कहा कि जहां तक बीजेपी पर बात करें तो उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। विधानसभा चुनाव में उसकी सरकार बन चुकी है। लोकसभा चुनाव में वह नौ सीटें जीत भी जाती है तो भी बीजेपी के लिए खोने के लिए कुछ नहीं है। हालांकि वह 11 का दावा कर रही है। पार्टी 9 से 10 सीटों तक पहुंच सकती है।