छत्तीसगढ़ : बीजापुर से बड़ी खबर है. यहां सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की खबर है. एक मुठभेड़ में डीआरजी के जवानों ने एक नक्सली को मार गिराया है. बताया जाता है कि यह मुठभेड़ जांगला थाना इलाके के तुंगाली के जंगलों में हुई. जवानों ने यहां से मारे गए नक्सली के शव के साथ-साथ हथियार भी बरामद किए हैं.
यह मुठभेड़ 27 फरवरी की सुबह उस वक्त हुई, जब जवान तड़के नक्सल ऑपरेशन पर निकले थे. गौरतलब है कि 12 दिन पहले यानी 15 फरवरी को भी बीजापुर-सुकमा के सीमावर्ती इलाके में जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. दोनों के बीच जबरदस्त फायरिंग हुई. यह मुठभेड़ उस वक्त हुई, जब सुरक्षाबलों ने गुंडम गांव में अपना नया कैंप खोला है.
गुंडम घोर नक्सल प्रभावित इलाका है. अभी तक फोर्स यहां जाने में डरती थी, क्योंकि यहां नक्सलियों की बटालियन काम करती है. जब से पुलिस छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाकों में नए कैंप लगा रही है, तभी से नक्सलियों ने हमले तेज कर दिए हैं. 11 फरवरी को भी जगरगुंडा थाने से नक्सलियों ने 4 लोगों को अगवा कर लिया था. वे अपने साथ उनकी जेसीबी भी ले गए थे. अगवा किए सभी लोग नल जल मिशन योजना पर काम कर रहे थे. इन सभी को जगरगुंडा के सुदूर इलाके सिंगराम से अगवा किया गया था. यह इलाका घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. यह बीजापुर व सुकमा का सरहदी इलाका है. यहां नक्सली जो चाहते हैं वो करते हैं. हालांकि, बाद में नक्सलियों ने उन्हें छोड़ दिया था.
नक्सलियों ने बदली हमले की रणनीति :सुरक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि अब माओवादियों ने अपने संगठन को बचाने और बड़े नेताओं को सुरक्षित रखने के लिए गुरिल्ला युद्ध की तैयारी कर ली है. वे इजराइल-हमास पैटर्न पर अबूझमाड़ क्षेत्र में गुफा बना रहे हैं. उन्होंने तालिबानियों की तरह छुपने के अड्डे बनाए हैं. इस बात का खुलासा तब हुआ जब हाल ही में सेना को दक्षिण बस्तर में इस तरह की गुफा मिली. इस गुफा नुमा बंकर मिलने के बाद सेना ने पूरे इलाके में अलर्ट जारी कर दिया है. सेना इसे बड़ी चुनौती मानकर चल रही है.
शांति वार्ता को लग सकता है झटका : गौरतलब है कि नक्सलियों ने सरकार के साथ शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा है. इस तरह की मुठभेड़ों से इस प्रस्ताव को झटका लग सकता है. नक्सलियों के प्रवक्ता विकल्प ने बातचीत के लिए कुछ शर्तें रखी हैं. इन शर्तों के मुताबिक, मुठभेड़ों और क्रॉस फायरिंग के नाम पर आदिवासियों की जघन्य हत्याएं बंद हों. तमाम सशस्त्र बलों को 6 माह के लिए बैरकों (थानों वे कैंपों) तक सीमित किया जाए. नए कैंप स्थापित करना बंद किया जाए और राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए. विकल्प ने कहा है कि हमारी पार्टी के साथ वार्ता के प्रति यदि सरकार ईमानदार है तो वह इन न्यूनतम बातों पर तो पहले अमल करे. फिर हम सीधी वार्ता या वर्चुअल/मोबाइल वार्ता के लिए आगे आएंगे.