पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने शनिवार को छत्तीसगढ़ के गौरेला पहुंची। जहां उन्होंने कहा कि, मैंने 30 साल पहले सन्यास लिया था और तकनीकी कारणों से मेरा नाम उमाश्री भारती हो गया था। मैं आखिरी समय तक राजनीति से प्यार करते रहूंगी। और राजनीति को मैं सेवा मानती हूं। सत्ता की राजनीति भी अच्छी होती है। मां नर्मदा के सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर तंज भी कसा है और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि, कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के रूप में हीरा खो दिया।
अमरकंटक दौरे पर पहुंची उमा भारती ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान का पलटवार करते हुए कहा है कि, अमरकंटक का एक हिस्सा छत्तीसगढ़ में आता है, और जितना हिस्सा छत्तीसगढ़ में आता है, पहले उसको ठीक कर लें। और बतौर मॉडल काम करके दिखाएं। फिर अमरकंटक की बात करें। दरअसल भूपेश बघेल ने 1 सितंबर 2021 को कहा था कि, अमरकंटक यदि छत्तीसगढ़ में होता तो और हम और ज्यादा अच्छे से यहां का विकास और नर्मदा मां की सेवा कर सकते थे। बता दे कि, अमरकंटक मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा के बीच में स्थित है। जिसमें मांई की बगिया, ज्वालेष्वर, राजमेरगढ़, धरमपानी, दुर्गाधारा, मांई का मड़वा, कबीर चबूतरा सहित कई स्थान छत्तीसगढ़ की सीमा में आते हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण हारे थे चुनाव
उमा भारती ने कहा कि, मध्यप्रदेश में हम विधानसभा चुनाव 2018 में हारे थे तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण ही हारे थे, और बाद में हमारी सरकार भी उन्हीं के कारण बनी है। इसलिए मैं सिंधिया को हीरा बोल रही हूं। शिवराज सिंह चौहान अपनी जगह हैं। उमा भारती ने कहा कि, अब मुझे नहीं लगता कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस 15 से 20 सीट से ज्यादा जीत पाएगी। लेकिन मैं कांग्रेस को नीची नजर से देखकर उनका उपहास नहीं करना चाहती हूं। गौरेला में उन्होने राजनीति से ब्रेक लेने के बाद की प्लानिंग के बारे में कहा कि, जैसा पार्टी निर्देश देगी वैसा ही करूंगी। फिलहाल कोविड के बाद के प्रभावों से राहत लेने के लिये यहां आई हूं।
मैं राहुल गांधी की हंसी नहीं उड़ा सकती…
राहुल गांधी की मध्यप्रदेश से भारत जोड़ो यात्रा निकलने वाली है। इस पर तंस कसते हुए कहा कि, मैं राहुल गांधी की हंसी नहीं उड़ा सकती, लोकतंत्र में सभी को अपने कार्यक्रम का अधिकार है। मैं उनकी निंदा नहीं कर सकतीं। लव जिहाद को लेकर उन्होंने कहा कि इसको लेकर सतर्कता जरूरी है। यूपी और एमपी में इसको लेकर बनाये गये कानून का ठीक से पालन हो रहा है। लेकिन सशक्त तरीके से कानून का पालन कराना होगा। उन्होने योगी के कठोर राजदंड को मॉडल बतलाते हुये कहा कि सब राज्यों में अपनी कमियां है। जो कमियों को दूर करेगा, वही मॉडल बन सकता है।

पूरे देश की राजनीति में खुद को पाती हूं…
उमा भारती ने कहा कि, मैं मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीति में खुद को पाती हूं। और मैं एकमात्र नेता हूं जो दो राज्यों से विधानसभा चुनाव लड़ी और दोनों राज्यों से सीएम की दावेदार रहीं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीवंत शक्ति बतलाते हुए कहा कि, ऐसा दुर्लभ व्यक्ति मैंने जीवन में नहीं देखा, जिनको सामर्थ्य और बुद्धि परमात्मा ने दी है। और मैं मोदी की बड़ी प्रशंसक हूं।
अमरकंटक मुझे बहुत अच्छा लगता है…
शराबबंदी को लेकर कहा कि, जब मैं मुख्यमंत्री रही तब ही 2003 में अमरकंटक में शराब और मांसाहार प्रतिबंधित कर दिया था, और इसीलिए अमरकंटक में मुझे बहुत अच्छा लगता है। नदियों के उत्थान को लेकर अपने प्रयासों को बतलाते हुये कहा कि, नदियों में पानी के बंद श्रोतों को खोला जाए, और ऐसा उपयोग हो कि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।

आप पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि ,उनको अपना पिंड बड़ा करना पड़ेगा। जो मूल पिंड होता है उसमें हवा भरने की क्षमता के बाद वह फूट जाएगा। आप पार्टी छोटे राज्यों तक तो ठीक है, अभी वो राष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान नहीं बना सकती। इसके लिये उनको त्याग तपस्या करना पड़ेगा हड़बड़ी से बचना होगा।
उमा भारती का राजनीतिक सफर
- उमा भारती का राजनीतिक सफर छोटी आयु में ही शुरू हो गया था। भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने के बाद उमा भारती 1984 में पहली बार चुनाव लड़ीं, जिसमें उन्हें हार का सामना पड़ा। लेकिन 1989 के चुनावों में वे जीत गई। वर्ष 1991 में वह खुजराहो लोकसभा सीट से चुनाव लड़ीं, जिसमें उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को हरा दिया।
- उसके बाद लगातार तीन बार वह इस सीट पर जीत दर्ज करती गईं। उमा भारती ने वर्ष 1999 में भोपाल सीट से चुनाव लड़ा इसमें भी उन्होंने जीत हासिल की।- वाजपेयी सरकार में उमा भारती ने विभिन्न मंत्रालयों जैसे मानव संसाधन विभाग, पर्यटन, खेल और युवा मामले, कोयला और खाद्यान्न मंत्रालय का पदभार संभाला।- वर्ष 2003 के चुनावों में उमा भारती मध्य-प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। उन्हीं के प्रयासों के परिणामस्वरूप भारतीय जनता पार्टी को मध्य-प्रदेश में तीन-चौथाई बहुमत प्राप्त हुआ था।
- 2004 में पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों से संबंधित गलत बयान देने के लिए उमा भारती से सदस्यता छीन कर उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।- जिसके बाद उन्होंने ‘भारतीय जनशक्ति दल’ नामक एक राजनैतिक दल का गठन किया. हालांकि उनकी यह पार्टी आगामी चुनावों में सफल नतीजे हासिल नहीं कर पाई थी। – लेकिन उमा भारती ने इस दल को पहचान दिलवाने के लिए अथक प्रयास किए।
- जून 2011 में उमा भारती को भारतीय जनता पार्टी में शामिल कर लिया गया। लगभग 6 साल के लंबे अंतराल के बाद उमा भारती का बीजेपी में वापसी हुई थी।
भोपाल से लेकर अयोध्या तक की कठिन पद-यात्रा
राम जन्म भूमि को बचाने के लिए उमा भारती ने कई प्रभावकारी कदम उठाए। उन्होंने पार्टी से निलंबन के बाद, भोपाल से लेकर अयोध्या तक की कठिन पद-यात्रा की।-साध्वी ऋतंभरा के साथ मिलकर अयोध्या मसले पर उन्होंने आंदोलन शुरू किया। उमा भारती ने इस आंदोलन को एक सशक्त नारा भी दिया- राम-लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे।-जुलाई 2007 में रामसेतु को बचाने के लिए, उमा भारती ने सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट के विरोध में 5 दिन की भूख-हड़ताल भी की।