प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा शुक्रवार को तीनों कृषि कानूनों (Three Farm Laws) की वापसी के ऐलान से दो बड़े संदेश साफ तौर पर स्पष्ट हैं- पहला कि केंद्र सरकार के लिए राष्ट्र हित सर्वोपरि है और दूसरा कि केंद्र सरकार ने किसानों की सुनी है. चाहे वह 2015 में लाया गया विवादित भूमि अधिग्रहण अध्यादेश (Controversial Land Acquisition Ordinance) हो या फिर हालिया तीनों कृषि कानून… केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने न्यूज18 से बातचीत में ये बात कही है. बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक लोकतांत्रिक और स्टेट्समैन लीडर के तौर पर ‘राष्ट्रहित’ में कृषि कानूनों की वापसी का फैसला लिया है, हालांकि ‘एक सीमित संख्या में ही किसान’ कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे, इसके बावजूद सरकार ने उन्हें मनाने का भरपूर प्रयास किया.
सूत्रों ने कहा, ‘सरकार के पास इस बात के इनपुट थे कि राष्ट्रविरोधी ताकतें किसानों के आंदोलन का फायदा उठाने की कोशिश में हैं, जिन्हें खालिस्तान और पाकिस्तान के आईएसआई नेटवर्क का सपोर्ट है. वहीं प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि कोई भी भारत के रणनीतिक हितों को कमजोर नहीं कर सकता है और उन्हें ऐसा करने की छूट नहीं दी जा सकती है. साथ ही यह भी कि भारत की एकता और अखंडता के सामने कुछ भी मायने नहीं रखता है.’