यूवीसी तकनीक का इस्तेमाल सालों से बैक्टीरिया का मारने में किया जा रहा है, हालांकि यदि यह सीधे तौर पर इंसान के शरीर पर पड़ता है तो इसके साइड इफेक्ट भी पड़ते हैं। कोरोना महामारी की शुरुआत से ही यूवीसी को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। बाजार में कई यूवीसी सैनिटाइजर भी आ गए हैं। अब सरकार ने संसद में यूवीसी का इस्तेमाल करने का एलान किया है। 19 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में कोरोना के एयरबोर्न ट्रांसमिशन को रोकने के लिए केंद्रीय कक्ष, लोकसभा कक्ष और कमेटी कक्षों 62 और 63 में यूवीसी का इस्तेमाल होगा। आइए जानते हैं इस यूवीसी तकनीक के इस्तेमाल, प्रभाव और साइड इफेक्ट के बारे में विस्तार से… क्या है यूवीसी टेक्नोलॉजी?
यूसीवी का पूरा नाम अल्ट्रावॉयलेट सी रेडिएशन है। आमतौर पर इसे पराबैंगनी किरणें कहा जाता है। अल्ट्रावायलेट लाइट का इस्तेमाल सदियों से तमाम तरह के वायरसों और बैक्टीरिया को मारने में किया जाता रहा है। अल्ट्रावायलेट लाइट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किसी सतह या वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया को मारने में होता है। कोरोना काल में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। UVC रेडिएशन का इस्तेमाल हवा, पानी और गैर-छिद्रपूर्ण सतहों को कीटाणुमुक्त करने में होता है। इसके अलावा आमतौर पर UVC लैंप का इस्तेमाल होता है। यूवीसी लैंप को कीटाणुनाशक लैंप भी कहा जाता है।
कोरोना वायरस पर कितना प्रभावी है यूवीसी?
कई शोध में यह साबित हो चुका है कि यूवीसी के जरिए कोरोना के वायरस को खत्म किया जा सकता है। UVC रेडिएशन कोरोना वायरस के बाहरी प्रोटीन कोटिंग को भी खत्म करने में प्रभावी है, हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें भी हैं। यदि UVC रेडिएशन किसी ऐसे सतह पर सीधे तौर पर पड़ता है तो बैक्टीरिया या वायरस पूरी तरह से खत्म हो सकता है। इस लाइट से उन सभी कीटाणुओं को खत्म किया जा सकता है जो आमतौर पर केमिकल के इस्तेमाल से बच निकलते हैं।
UVC रेडिएशन के साइड इफेक्ट?
UVC रेडिएशन का इंसानों के शरीर पर गलत प्रभाव पड़ता है। यदि यूवीसी शरीर के किसी हिस्से पर सीधे तौर और करीब से पड़ती है तो स्किन के जलने जैसी समस्या हो सकती है। यह कई शोध में साबित हो चुका है, हालांकि इसका साइड इफेक्ट इस बात पर निर्भर करता है कि किसी जगह पर इस्तेमाल हो रहे UVC लाइट की वेबलेंथ कितनी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हमारी त्वचा के बूढ़े होने, झुर्रियां पड़ने और बढ़ती उम्र के धब्बे पड़ने के लिए 80 फीसदी जिम्मेदार यूवीसी ही होती है। सूरज की रौशनी में तीन तरह की अल्ट्रा वायलेट किरणें होती हैं, हालांकि वे कई तरह की होती हैं।