चीन भारत के लद्दाख क्षेत्र के अलावा हिंद महासागर में भी अपनी ताकत बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहा है। वह 2021 के आखिर तक दुनिया का सबसे बड़ा गैर अमरीकी विमानवाहक पोत लॉन्च करने की तैयारी में है, जिसके चलते हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है।
चीन पहले से ही दक्षिण चीन सागर में वैश्विक कानूनों का सम्मान नहीं कर रहा और गनबूट रणनीति अपना रहा है। पश्चिमी मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार, इस तीसरे विमानवाहक पोत को लिओनिंग और शानदोंग के बाद टाइप 003 के तौर पर लेबल किया गया है। हालांकि इसके तैयार होने से पहले इस दशक के अंत तक दो और विमानवाहक पोत चाइनीज कैरियर बैटल ग्रुप्स में शामिल होंगे। पश्चिमी रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि उन्होंने पीएलए नौसेना वाहक विकास कार्यक्रम को कम करके आंकने की कोशिश की है, जिसमें चीन की प्रौद्योगिकी तक कम पहुंच का हवाला दिया गया है। वहीं भारतीय नौसेना जानती है कि तीसरा विमानवाहक पोत हिंद प्रशांत क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर सकता है।
इस मामले में पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी का कहना है, सवाल ये नहीं है कि चीन ने कैसे ये तकनीक हासिल की बल्कि ये है कि इससे भारत और आईओआर पर क्या प्रभाव पड़ेगा। वहीं इस पोत की बात करें तो यह 85 हजार से अधिक टन का हो सकता है, जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम होगा। जिससे पोत अधिक ईंधन और हथियारों के साथ विमान को लॉन्च कर सकता है। इसके साथ ही इसमें हवाई रडार, पनडुब्बी रोधी वॉरफेयर और एरियल रिफ्यूलिंग जैसी सुविधाएं मौजूद होंगी।