अंतरिक्ष यात्रा करने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला बनने वालीं है सिरीशा बांदला। आंध्र प्रदेश में जन्मी बांदला भारत की ये दूसरी बेटी है जो 11 जुलाई को आकाश की ऊंचाइयों से भी आगे जाएगी। कल्पना चावला के बाद सिरीशा बांदला ये उपलब्धि हासिल करने वाली दूसरी महिला हैं। बांदला वीएसएस यूनिटी के 6 अंतरिक्षयात्रियों में से एक है। बांदला बतौर रिसर्चर इस मिशन से जुड़ी हैं। ह्यूस्टन में पली-बढ़ी सिरिशा बांदला को पता था कि एक दिन वह अंतरिक्ष में जरूर जाएंगी,चाहे कुछ भी हो। रविवार (11 जुलाई) यानी कल सिरिशा के रॉकेट से भरे सपने सच होंगे।
अमेजन फाउंडर जेफ बेजोस के स्पेस जाने से 9 दिन पहले अंतरिक्षयात्रियों का ये दल स्पेस जाएगा। बांदला ने ट्विटर पर खुद ये खुशखबरी सभी को दी। ब्रांसन्स कंपनी ने जेफ बेजोस को पछाड़ने के लिए बीते गुरुवार को इस मिशन की सूचना जारी की। इस मिशन में कंपनी के फाउंडर, रिचर्ड ब्रैन्सन भी हिस्सा लेंगे। सिरीशा उन छह वैज्ञानिकों में से एक होंगी, जो इस अंतरिक्ष यान से उड़ान भरने वाले हैं। सिरीशा अंतरिक्षयात्रियों के इस समूह में चौथे नंबर की वैज्ञानिक हैं। वह वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी के गवर्नमेंट अफेयर्स एंड रिसर्च ऑपरेशंस में वाइस प्रेसीडेंट भी हैं और उन्हों ने महज छह वर्षों में यह उपलब्धि हासिल की है।
अपने अंतरिक्ष उड़ान के समय सिरिशा ह्यूमन टेंडेड रिसर्च एक्सपीरिएंस की इंचार्ज भी रहेंगी, जिससे उन्हें अंतरिक्ष यात्रा के दौरान एस्ट्रोनॉट्स पर होने वाले असर के बारे में जानने का मौका मिलेगा। जानकारी के मुताबिक बचपन से ही अंतरिक्ष की दुनिया ने उन्हें आकर्षित किया और रॉकेट्स तथा स्पेसक्राफ्ट्स को देखकर होने वाले रोमांच ने उन्हें एस्ट्रोनॉट बनने के लिए प्रेरित किया।
राकेश शर्मा भारत की तरफ से सबसे पहले अंतरिक्ष में गए थे। उसके बाद कल्पना चावला अंतरिक्ष में गए। साथ ही साथ भारत वंश की सुनीता विलियम्स इन्होंने भी अंतरिक्ष यात्रा की।