इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईएसीसी) ने कहा है कि प्रस्तावित ई-कॉमर्स मानदंड अनुपालन दायित्व बढ़ा सकते हैं, देश में कारोबारी सुगमता के लिहाज से वैश्विक निवेशकों की भावना को प्रभावित कर सकते हैं और इससे ई-कॉमर्स क्षेत्र का विकास गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। आईएसीसी ने उपभोक्ता मामलों के विभाग के संयुक्त सचिव अनुपम मिश्रा को लिखे पत्र में कहा कि ई-कॉमर्स विकास के अपार अवसरों के साथ एक उभरता हुआ क्षेत्र है।
पत्र में लिखा है कि ई-कॉमर्स ने उपभोक्ताओं को विकल्प और सुविधा दी है, छोटे व्यापारियों को नए बाजारों तक पहंच दी है और बड़े पैमाने पर रोजगार के मौके पैदा किए हैं। आईएसीसी ने दो जुलाई के अपने पत्र में कहा, ”उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में प्रस्तावित संशोधन, जो उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए लाए गए हैं, उनसे अनुपालन देनदारियां बढ़ सकती हैं, जिससे ई-कॉमर्स क्षेत्र प्रभावित होगा।”
आईएसीसी ने आगे कहा कि इस तरह के उपायों से वैश्विक स्तर पर निवेशकों की धारणा प्रभावित होगी, खासकर देश में कारोबारी सुगमता के संबंध में। आईएसीसी ने कहा कि ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस के लिए ”फॉलबैक लायबिलिटी” का प्रावधान अनावश्यक है और इस तरह की देनदारी विक्रेताओं के लिए होनी चाहिए, क्योंकि ई-कॉमर्स संस्थाओं का मार्केटप्लेस मॉडल के तहत इन्वेंट्री पर कोई नियंत्रण नहीं है। पत्र में कहा गया कि इस तरह के प्रावधान से छोटी ई-कॉमर्स कंपनियों पर असर पड़ने की आशंका है, जो इन देनदारियों का खामियाजा भुगतेंगी और उनकी वृद्धि बाधित होगी। आईएसीसी ने कहा कि फ्लैश बिक्री, क्रॉस-सेलिंग आदि के संबंध में कुछ प्रस्तावित प्रावधान ऑनलाइन खुदरा कारोबार के लिए अतिरिक्त जटिलताएं पैदा करेंगे।