भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने अपने एक नए रिसर्च में कहा है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मौतों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। आईसीएमआर ने कहा है कि पहली लहर की तुलना में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मृत्यु दर में 30% की वृद्धि देखी गई। 20 साल से कम उम्र के लोगों को छोड़कर सभी आयु वर्ग में दूसरी लहर में डेथ रेट ज्यादा देखी गई है। देश में कोरोना से अब तक 4.2 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। भारत दुनियाभर में तीसरा ऐसा देश है, जहां कोरोना से 4 लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं।
आईसीएमआर ने अपने रिसर्च में कोरोना की पहली लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती 11,178 मरीजों की तुलान दूसरी लहर में अस्पताल में भर्ती 3,258 मरीजों से की है। जिसके बाद रिसर्च में ये सामने आया है कि दूसरी लहर में अस्पताल में भर्ती 3,258 मरीजों में से 13.3% लोगों की मौत हो गई। वहीं पहली लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती 11,178 मरीजों में से 10.2% लोगों की मौत हुई है। यानी पहली लहर की तुलना में कोरोना की दूसरी लहर में 30% कोविड मृत्यु दर में इजाफा हुआ है।
रिसर्च में ये बात भी सामने आई है कि पहली लहर की तुलना में, दूसरी लहर में 20 साल से कम उम्र के लोगों को छोड़कर सभी आयु वर्ग के लोगों में मृत्यु दर में भी काफी वृद्धि हुई है। कोरोना की दूसरी लहर में जान गंवाने वालों में युवाओं की संख्या भी अधिक थी।
कोरोना दूसरी लहर में सांस की तकलीफ की शिकायत करने वाले मरीज ज्यादा थे। जिनमें एआरडीएस (एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) का विकास हो गया था। जिसकी वजह से मरीजों को ऑक्सीजन और मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरूरत ज्यादा हो रही थी।
कोरोना की पहली लहर में एआरडीएस का अनुपात 8% था। जो दूसरी लहर में 13% हो गया था। सांस लेने में दिक्कत और ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से ही मैकेनिकल वेंटिलेशन का इस्तेमाल ज्यादा किया गया। जिसमें डेथ रेट के बढ़ने के चांस ज्यादा होते हैं।