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कश्मीर में सिख लड़कियों को ‘ज़बरन’ मुसलमान बनाकर शादी करने का क्या है पूरा मामला? – ग्राउंड रिपोर्ट

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पिछले दिनों कश्मीर में सिख समुदाय के कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि उनके समुदाय की लड़कियों को ज़बरन इस्लाम क़ुबूल करवाया जा रहा है और फिर उन्हें मुसलमान लड़कों से शादी के लिए मजबूर किया जा रहा है.

सिख समुदाय के लोगों ने यह आरोप इसलिए लगाये हैं क्योंकि पिछले सप्ताह सिख समुदाय की दो लड़कियों के कथित ज़बरन धर्म परिवर्तन और फिर ज़बरन शादी की बात सामने आयी थी.

विवाद के केंद्र में दो लड़कियाँ हैं. दनमीत कौर और मनमीत कौर.

इस विवाद को लेकर कुछ सिख समुदायों ने जम्मू-कश्मीर समेत दिल्ली में प्रदर्शन किया और माँग की कि उनकी लड़कियों को उनके घरवालों (माता-पिता) को वापस सौंप दिया जाए.

हालाँकि, पुलिस और दोनों ही सिख लड़कियों ने इन आरोपों का खंडन किया है.

तो फिर सवाल है कि आख़िर पूरा मामला है क्या? सबसे पहले बात करते हैं दनमीत कौर की.

विवाद की शुरुआत कहाँ से हुई?

28 वर्ष की दनमीत कौर के घरवालों को उस समय एक ज़बरदस्त झटका लगा, जब दनमीत कौर बीती छह जून को अपने घर से निकली थीं और कुछ ही मिनट बाद उन्होंने अपनी बहन को फ़ोन कर कहा कि – मुझे ढूंढ़ने की कोशिश मत करना.

श्रीनगर के महज़ूर नगर में रहने वाली दनमीत कौर के घर जब हम बुधवार की दोपहर को पहुँचे और गेट के अंदर दाख़िल हुए तो घर पर सन्नाटा था.

घर के अंदर हमारी मुलाक़ात दनमीत कौर के चाचा हुक़ूमत सिंह से हुई.

दनमीत के माता-पिता कश्मीर में उस समय मौजूद नहीं थे और ना ही दनमीत के भाई से हमारी मुलाक़ात हो सकी.

हुक़ूमत सिंह ने बीबीसी से कहा, “ये बीते छह जून की बात है. दनमीत शाम को घर से बाहर गईं और अपनी बहन को फ़ोन किया और रोते-रोते बताया कि मुझे ढूंढ़ने की अब कोशिश मत करना. लेकिन एक घंटे के भीतर हमने दनमीत को श्रीनगर के बगात इलाक़े में उनके ‘प्रेमी’ मुज़फ़्फ़र शाबान के घर से पुलिस की मदद से बरामद किया. पुलिस लड़की को श्रीनगर के सदर थाने में ले गई. उस समय लड़की ने कहा था कि मैं अपने माँ-बाप के साथ ही रहूँगी.”

पुलिस पर आरोप लगाते हुए हुक़ूमत सिंह कहते हैं कि दनमीत को एसएचओ अपने साथ ऑफ़िस में ले गए और उसका ‘ब्रेनवॉश’ किया.

हुक़ूमत सिंह के अनुसार, “दो घंटों के बाद लड़की के तेवर बदल गये और उसने कहा कि वो अपने माता-पिता के घर में असुरक्षित महसूस करती है.”

पुलिस इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने से मना कर रही है, लेकिन नाम नहीं छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि अगर ऐसा होता तो लड़की फिर दोबारा घर से क्यों भाग जाती.

पुलिस ने बताया कि मेडिको-लीगल औपचारिकताओं में कुछ समय तो लगता ही है.

हुक़ूमत सिंह कहते हैं कि पुलिस ने रातभर लड़की को महिला पुलिस थाने में रखा और अगले दिन लड़की को रिहा करके घरवालों के सुपुर्द किया.

हुक़ूमत सिंह के अनुसार, दनमीत के घरवाले उनको क़रीब चार दिनों के बाद जम्मू ले गए और कुछ दिनों के बाद दनमीत को वापस श्रीनगर लेकर आ गए.

हुक़ूमत सिंह कहते हैं कि दनमीत ने कुछ दिनों के बाद फिर कहा कि वो पंजाब के स्वर्ण मंदिर जाना चाहती हैं.

हुक़ूमत सिंह के मुताबिक़, “दनमीत की इच्छा पूरी करते हुए उनके माँ-बाप उनको पंजाब के गोल्डन टेम्पल (हरमंदिर साहिब, अमृतसर) ले गए और कुछ दिन बाद वापस जम्मू लेकर आ गए.”

हुक़ूमत सिंह कहते हैं कि जम्मू वापस आने के बाद रात के दो बजे पुलिस की टीम उनके भाई (दनमीत के पिता) के घर जम्मू के जानीपुरा इलाक़े में पहुँची और सुबह रोशनी फूटते ही पुलिस के कम से कम 20 लोग घर में दाख़िल हो गए और लड़की को ज़बरन गाड़ी में बिठाकर ले गए. और उसके बाद श्रीनगर की एक निचली अदालत में पेश किया.

दनमीत के बड़े चाचा हरभजन सिंह ने बताया कि इस दौरान लड़के (मुज़फ़्फ़र शाबान जिनके साथ दनमीत ने शादी करने का दावा किया है) को भी अदालत में पेश किया गया और उनके साथ उनके परिवार के कई लोग थे, जबकि लड़की के परिवारवालों को अदालत के अंदर जाने नहीं दिया गया.

हरभजन आगे बताते हैं, “हमें नहीं पता अंदर अदालत में जज ने क्या फ़ैसला दिया. अदालत के अंदर ही लड़की को लड़के के हवाले किया गया और हमें ये पता नहीं कि लड़की और लड़के को किस दरवाज़े से बाहर निकाल दिया गया.”

लेकिन दनमीत ख़ुद जो कहानी बताती हैं वो इससे अलग है.

कुछ दिनों पहले दनमीत का एक वीडियो वायरल हुआ. दनमीत ने इस बात की पुष्टि की है कि वो वीडियो उन्हीं का है, लेकिन वह इससे ज़्यादा कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं.

दनमीत का वीडियो में दावा

वीडियो की शुरुआत दनमीत कौर ये कहते हुए करती हैं कि आजकल जिन दो सिख लड़कियों के कथित ज़बरन धर्म परिवर्तन और ज़बरन शादी की बात सोशल मीडिया पर हो रही है, उनमें से एक लड़की वह ख़ुद हैं. वह कहती हैं कि ज़बरन शादी और इस्लाम क़ुबूल करने की बात सरासर झूठ है.

वह दावा करती हैं कि उन्होंने साल 2012 में ही इस्लाम धर्म क़ुबूल किया था और 2014 में अपने बैचमेट मुज़फ़्फ़र से उन्होंने अपनी मर्ज़ी से शादी कर ली थी और उनके अनुसार उनके पास इन सब दावों के दस्तावेज़ी सुबूत हैं.

इस वीडियो में दनमीत कौर ये कहते हुए सुनी जा सकती हैं कि उन्होंने इसी साल 6 जून को अपना घर छोड़ा और घरवालों को फ़ोन कर कह दिया कि वे उन्हें तलाश ना करें क्योंकि वह अपनी मर्ज़ी से घर से निकली हैं.

दनमीत कौर ने वीडियो में दावा किया कि उनके फ़ोन के दो घंटे के भीतर पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और उनके माता-पिता के हवाले किया कर दिया.

उन्होंने वीडियो में इलज़ाम लगाया है कि उनके घरवाले उन्हें पहले जम्मू और फिर वहाँ से पंजाब ले गए जहाँ उन्हें कई संगठनों से मिलवाया गया और उनका ‘ब्रेनवॉश’ करने की कोशिश की गई.

दनमीत वीडियो में ये भी कहती हैं कि उनसे ज़बरन अपने क़ानूनी पति के ख़िलाफ़ वीडियो बयान जारी करवाने की कोशिश की गई थी, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया.

वह वीडियो में लोगों से अपील करती हैं कि इस मामले को राजनीतिक रंग ना दिया जाये क्योंकि वह 29 साल की एक पढ़ी लिखी लड़की हैं और अपना सही-ग़लत समझती हैं.

दनमीत ने ये वीडियो 28 जून 2021 को बनाया था. दनमीत के चाचा हुक़ूमत सिंह का कहना है कि वीडियो दनमीत ने अदलात जाने के दो दिन बाद बनाया था.

दनमीत के छोटे भाई 20 साल के किशन सिंह ने बीबीसी को फ़ोन पर बताया कि उनकी बहन के मामले ने उन्हें अपनी बिरादरी में ‘सामाजिक कलंक’ जैसे हालात का सामना करने के रास्ते पर खड़ा कर दिया है.

किशन पूछते हैं कि अगर उनकी बहन ने वीडियो में ये दावा किया है कि उन्होंने 2012 में इस्लाम क़ुबूल किया था और 2014 में मुस्लिम लड़के से शादी की थी तो फिर वह 2021 तक एक सिख घर में क्यों रह रही थीं? किशन कहते हैं कि वीडियो में कही गईं सारी बातें झूठी हैं.

गुरुवार को जब हम दनमीत के अनुसार, उनके पति मुज़फ़्फ़र शाबान के घर श्रीनगर के बाग़ात इलाक़े में पहुँचे तो उनके घर के मुख्य दरवाज़े पर ताला लगा मिला.

उनके एक पड़ोसी ने हमें बताया कि मुज़फ़्फ़र का परिवार बीते एक हफ़्ते से घर छोड़कर कहीं चला गया है. काफ़ी कोशिश के बाद भी मुज़फ़्फ़र से संपर्क नहीं हो सका.

मनमीत कौर का मामला

दनमीत कौर के घर महज़ूर नगर से सात किलोमीटर दूर, रैनावाड़ी इलाक़े में रहने वाली 19 साल की एक सिख लड़की मनमीत कौर का भी इसी तरह का एक मामला शनिवार (27 जून) को सामने आया.

दनमीत अपने वीडियो में जिस दूसरी लड़की का ज़िक्र कर रही हैं, वह यही मनमीत कौर हैं.

मनमीत कौर का दावा है कि उन्होंने 28 साल के शाहिद नज़ीर नाम के एक व्यक्ति से अपनी मर्ज़ी से शादी कर ली है. लेकिन मनमीत के घर वालों को यह रिश्ता मंज़ूर नहीं था और उन्होंने पुलिस के पास अपनी बेटी के अग़वा होने, ज़बरन धर्म परिवर्तन और ज़बरन शादी का केस दर्ज कराया.

शाहिद नज़ीर और मनमीत कौर, दोनों ही रैनावाड़ी इलाक़े में रहते हैं. शाहिद ट्रैवल एजेंसी में ड्राइवर का काम करते हैं.

पुलिस ने बताया कि मनमीत के पिता ने शाहिद नज़ीर के ख़िलाफ़ लिखित शिक़ायत दर्ज की थी, जिस शिक़ायत में बताया गया था कि शाहिद नज़ीर ने उनकी बेटी का अपहरण किया था.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी जो इस मामले की जाँच में जुटे थे, उन्होंने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि मनमीत कौर और शाहिद नज़ीर ने ख़ुद अपने आपको 23 जून 2021 को पुलिस के सामने पेश किया था.

बहरहाल, पुलिस ने उन दोनों को शनिवार (26 जून) को श्रीनगर की एक अदालत में पेश किया.

पिछले शनिवार को श्रीनगर की एक निचली अदालत में रात देर तक मनमीत के मामले की सुनवाई होती रही.

इस दौरान दर्जनों सिखों ने अदालत के सामने विरोध प्रदर्शन किया और वे नारेबाज़ी कर माँग कर रहे थे कि उनकी लड़कियों को उनके माता-पिता को वापस किया जाए.

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बडगाम के अध्यक्ष संतपाल सिंह ने इस बारे में अपनी नाराज़गी जताते हुए कहा कि जब लड़की को कोर्ट में लाया गया और उनका बयान रिकॉर्ड किया गया, उस समय उनके घरवालों को अंदर जाने क्यों नहीं दिया गया?

वे कहते हैं, “ये कैसा इंसाफ़ है? क्या हम इंसाफ़ की उम्मीद कर सकते हैं ऐसी अदालत से!”

हालांकि, कश्मीर के वरिष्ठ वकील रियाज़ ख़ावर ने बताया कि अदालत जब किसी का बयान रिकॉर्ड करती है तो रिकॉर्डिंग रूम में किसी को अंदर जाने की इजाज़त नहीं दी जाती है.

मनमीत ने अदालत में क्या बयान दिया है इसकी पूरी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है.

हालाँकि, पुलिस सूत्रों ने हमें बताया कि जज ने अदालत में मनमीत को कहा था कि उन्हें इस बात की पूरी आज़ादी है कि वह जहाँ जाना चाहती हैं, जा सकती हैं.

अदालत ने मनमीत कौर को शनिवार देर रात उनके माता-पिता के हवाले कर दिया.

मंगलवार के दिन मनमीत के घरवालों ने उनकी शादी सिख धर्म के ही एक व्यक्ति सुखप्रीत सिंह से करवा दी. इस शादी के बाद उन्हें दिल्ली ले जाया गया है. शादी की पुष्टि श्रीनगर में अकाली दल के नेताओं ने एक प्रेस सम्मेलन में की.

बीबीसी ने मनमीत कौर के पिता राजिंदर सिंह बल्ली से बात करने की कई बार कोशिश की, लेकिन उनका फ़ोन बंद आता रहा. फिर पता चला कि राजिंदर सिंह अभी कश्मीर में मौजूद नहीं हैं.

मनमीत की तो उनके घरवालों ने शादी कर दी और उन्हें दिल्ली भेज दिया, लेकिन शाहिद अभी पुलिस हिरासत में हैं.

शाहिद के वक़ील जमशेद गुलज़ार ने बताया कि उनकी भूमिका सिर्फ़ शाहिद की ज़मानत तक सीमित है.

शाहिद के वकील ने इस मामले में और कोई बात करने से मना कर दिया.

उनका कहना था कि आने वाली पाँच तारीख़ को शाहिद की ज़मानत की सुनवाई होने जा रही है.

निकाह के काग़ज़ात

मनमीत कौर की शादी का विरोध कर रहे सिख संगठन के लोगों ने कहा था कि शाहिद की उम्र पचास वर्ष से ऊपर है और लड़की सिर्फ़ 17-18 साल की है. लेकिन शाहिद के घरवालों का कहना है कि शाहिद का जन्म वर्ष 1991 में हुआ था.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि मनमीत के बारे में “ज़बरन धर्म परिवर्तन और ज़बरन शादी” की जो बात कही जा रही है, उसमें कोई सच्चाई नहीं है.

शाहिद नज़ीर के परिवारवालों ने मनमीत कौर और शाहिद नज़ीर की शादी के दस्तावेज़ दिखाए, जिनकी कॉपी बीबीसी के पास है.

लेकिन, परिवारवालों ने रिकॉर्ड पर कोई भी बात कहने से इनकार कर दिया.

उनका कहना था कि उनका लड़का अभी हिरासत में है जिसकी ज़िंदगी ख़तरे में है, इसलिए वो इस मामले में कोई भी बात नहीं कर सकते.

बीबीसी के पास मौजूद शादी के दस्तावेज़ों में निकाह के काग़ज़ात और शादी एग्रीमेंट शामिल है.

निकाहनामे के अनुसार, मनमीत और शाहिद की शादी बीती पाँच जून को हुई. निकाह के बाद दोनों ने बारामुलाह के ज़िला अदालत में 22 जून 2021 को एक एग्रीमेंट पर दस्तख़्त भी किये. इस एग्रीमेंट में मनमीत ने बताया है कि उन्होंने अपनी मर्ज़ी से इस्लाम धर्म क़ुबूल किया है और अपनी मर्ज़ी से शाहिद नज़ीर के साथ शादी की है.

कहानी विरह पाल कौर की

मनमीत और दनमीत की कहानियाँ जहाँ सुर्ख़ियाँ बटोर रही हैं, वहीं विरह पाल कौर नाम की एक और सिख लड़की का मामला कुछ दिनों पहले सामने आया था.

विरह पाल कौर ने एक वीडियो जारी कर अपनी शादी का ज़िक्र किया था और सिख लड़कियों के ज़बरन धर्म परिवर्तन और शादी के आरोपों का खंडन किया था.

28 साल की विरह कौर ने कहा कि उन्होंने भी वर्ष 2021 में अपनी मर्ज़ी से इस्लाम धर्म क़ुबूल किया और इसी साल शादी भी की है.

विरह पाल कौर ने इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद अपना नाम ख़दीजा रखा है.

उनकी शादी ज़िला बडगाम के पंजान गाँव के रहने वाले 32 साल के मंज़ूर अहमद के साथ हुई है.

मंज़ूर अहमद ने बताया कि दोनों का प्यार वर्ष 2012 में शुरू हुआ था. ख़दीजा फ़िलहाल अपने पति के साथ उनके घर पर रह रही हैं.

ख़दीजा ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “मैं वर्ष 2014 से ही इस्लाम धर्म पर चल रही थी. मैं अपने घर में पाँच वक़्त की नमाज़ भी पढ़ती थी और रोज़े भी रखती थी. मेरे घर में मेरी बहन और माँ को पहले से मेरे लव अफ़ेयर के बारे में पता था. बाक़ी जो ‘लव-जिहाद’ की बातें हो रही हैं, उन बातों में कोई सच्चाई नहीं है. बंदूक़ की नोंक पर ना मैंने इस्लाम क़ुबूल किया और ना ही शादी की.”

विरह (ख़दीजा) के पति मंज़ूर ने हमें बताया कि उनकी शादी इसी वर्ष जनवरी के महीने में हुई थी.

मंज़ूर कहते हैं कि अगर विरह सिख धर्म को बदलकर इस्लाम धर्म नहीं भी क़ुबूल करतीं तो भी उन्हें उनसे शादी करने में कोई परेशानी नहीं थी.

मंज़ूर ने एमएससी तक पढ़ाई की है, जबकि ख़दीजा ने पॉलिटेक्निक से डिप्लोमा हासिल किया है.

सिख संगठनों के आरोप

पिछले शनिवार को श्रीनगर की अदालत के बाहर सिखों के हंगामे और प्रदर्शन के बाद अगले दिन यानी रविवार को दिल्ली अकाली दल के प्रवक्ता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा श्रीनगर पहुँचे और स्थानीय सिख नेताओं के साथ प्रदर्शन कर आरोप लगाया कि कश्मीर में सिख लड़कियों का बंदूक की नोंक पर अपहरण किया जा रहा है, उनका धर्म परिवर्तन किया जा रहा है और फ़िर मुसलमान लड़कों के साथ उनकी ज़बरन शादी करा दी जा रही है.

सिरसा ने श्रीनगर में प्रदर्शन के दौरान माँग की कि जम्मू-कश्मीर में भी भारत के कुछ दूसरे राज्यों में मौजूद क़ानून की तर्ज़ पर सख़्त क़ानून लागू किया जाये ताकि ‘ज़बरन धर्म-परिवतन’ के सिलसिले को बंद किया जा सके.

मनमीत कौर को शनिवार रात को ही अदालत के आदेश पर उनके माता-पिता के हवाले कर दिया गया था लेकिन बावजूद इसके रविवार और सोमवार को इस बारे में सिरसा का बयान आता रहा.

सिरसा ने सबसे पहले 26 जून को ट्वीट कर कहा था कि जिस सिख लड़की की बात की जा रही है वह प्यार का मामला नहीं, बल्कि ज़बरन शादी का मामला है और लड़के की उम्र 60 साल है.

उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा को टैग करते हुए कहा कि अदालत ने लड़की की कस्टडी को ग़लत तरीक़े से एक मुसलमान व्यक्ति को दे दिया है. उन्होंने लड़की को मानसिक रूप से अस्वस्थ भी क़रार दिया.

उन्होंने उप-राज्यपाल से इस मामले में दख़ल देने की अपील की.

सिरसा के बाद अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भी ट्वीट कर कहा कि एक सिख लड़की के अग़वा किए जाने और ज़बरन शादी से वो बहुत दुखी हैं और उन्होंने सिरसा को फ़ौरन श्रीनगर जाने के आदेश दिए हैं.

27 जून रविवार को सिरसा श्रीनगर पहुँचे और स्थानीय सिखों के साथ मिलकर प्रदर्शन किया और भारत सरकार से इस तरह के मामलों से सख़्ती से निपटने की अपील की.

उन्होंने कहा कि सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान सिखों ने मुसलमान लड़कियों को उनके घर तक सुरक्षित पहुँचाने में कितनी मदद की थी, लेकिन श्रीनगर में एक भी मुसलमान नेता इस मामले में सिखों के समर्थन में आगे नहीं आए हैं.

उन्होंने दावा किया कि उन्होंने इस मामले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी बातचीत की है और अपील की है कि वो मध्य-प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसा एक ऐसा क़ानून बनाये कि अंतर-धार्मिक विवाह के मामले में लड़कियों को अपने माता-पिता की इजाज़त लेना अनिवार्य हो.

सिरसा के अनुसार, अमित शाह ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वो पूरी स्थिति को मॉनिटर कर रहे हैं.

सिरसा ने जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह से भी मुलाक़ात करने का दावा किया और इस संबंध में ट्वीट कर जानकारी दी.

सिरसा और उमर अब्दुल्ला भी ट्विटर पर भिड़े

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने कहा कि सिखों और मुसलमानों के बीच दीवार खड़ी करने की कोशिश से राज्य का बड़ा नुक़सान होगा.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, “कश्मीर में सिखों और मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा करने की कोई भी कोशिश जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए अपूर्णीय क्षति होगी. दोनों समुदायों ने हर अच्छे-बुरे समय में एक दूसरे का साथ दिया है और ज़माने से चले आ रहे आपसी संबंधों ने इसे नुक़सान पहुँचाने की हर कोशिश का सामना किया है.”

उन्होंने कहा कि अगर किसी ने क़ानून तोड़ा है तो उसके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए.

सिरसा ने उमर अब्दुल्लाह को जवाब देते हुए कहा, “कोई भी मतभेद पैदा नहीं कर रहा है, लेकिन अब समय आ गया है कि आपके समुदाय के ऐसे लोगों का बहिष्कार किया जाए और घाटी में हो रहे ‘ज़बरन धर्मांतरण’ पर रोक लगायी जाए.”

कश्मीर के स्थानीय सिख संगठन का क्या कहना है

सिरसा के आरोपों का खंडन करते हुए ऑल पार्टी सिख कोर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगमोहन सिंह रैना बताते हैं, “बंदूक़ की नोक वाली तो बात ही नहीं है. ये ग़लत बयानबाज़ी है. हम इसकी खोज कर रहे हैं कि यह बयान आया कहाँ से? हम चाहते हैं कि इस बयान की जाँच हो. बाहर से कुछ सिख नेता कश्मीर आकर कश्मीर में सिखों और मुसलमानों का भाईचारा बिगाड़ना चाहते हैं, जिसकी हम इजाज़त नहीं देंगे.”

शिरोमणि अकाली दल के नेताओं ने मंगलवार को श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा कि दिल्ली से आकर किसी सिख ने मुसलमानों को ठेस पहुँचाने वाला बयान दिया है तो उसके लिए वो माफ़ी माँगते हैं.

कई सवालों के जवाब अब भी नहीं

सिरसा और कुछ दूसरे सिख नेता कह रहे हैं कि अदालत ने ग़लत तरीक़े से मनमीत की कस्टडी एक मुसलमान व्यक्ति को दे दी. फिर वो उप-राज्यपाल मनोज सिंहा का शुक्रिया अदा करते हैं.

सिरसा ने ट्वीट किया, “श्रीनगर में सिख लड़कियों के जबरन निकाह के मामले में फ़ौरन निर्देश जारी करने के लिए मैं उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा जी का शुक्रिया अदा करता हूं. उन्होंने मुझे आश्वस्त किया है कि सिख लड़की जिनका ज़बरन धर्म परिवर्तन कराया गया है उन्हें उनके परिवार के हवाले कर दिया जाएगा.”

तो सवाल ये उठता है कि अदालत ने पहले लड़की की कस्टडी मुसलमान व्यक्ति (जिनसे शादी करने का लड़की दावा करती हैं) को दे दी या फिर अदालत ने किन हालात में अपना फ़ैसला बदला और कस्टडी लड़की के माता-पिता को दे दी. क्या उप-राज्यपाल के दफ़्तर से इस बारे में कुछ निर्देश दिये गए जैसा कि सिरसा ख़ुद दावा कर रहे हैं.

शनिवार के बाद से मनमीत की किसी भी मीडिया से कोई बात नहीं हो पाई है.

जिस मुसलमान व्यक्ति शाहिद नज़ीर से मनमीत की शादी की बात कही जा रही है, वो इस वक़्त पुलिस हिरासत में हैं. शाहिद के परिवार वाले इतना डरे हुए हैं कि कुछ ज़्यादा बोल नहीं रहे हैं.

इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी पुलिस का कोई अधिकारी मीडिया के सामने आकर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हो रहा है.

नाम नहीं छापने की शर्त पर पुलिस अधिकारी यह तो मान रहे हैं कि ये ज़बरन धर्म परिवर्तन या शादी का मामला नहीं है, लेकिन इसी बात को कैमरे के सामने नहीं कह रहे.

विरोध के स्वर

पुलिस भले ही इस मामले में ख़ामोश हो लेकिन ख़ुद सिख समुदाय की कई महिलाएं इस मामले में अपना पक्ष रख रही हैं.

श्रीनगर के एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर गुरमीत कौर बीबीसी से कहती हैं, “हम जिस समाज में रहते हैं, वहाँ अभी सोच इतनी विकसित नहीं है कि हम ये फ़ैसले ले सकें. एक समय में हम एक ही परिवार में रहते हैं, लेकिन फिर जब भाई की शादी होती है और घर में नई बहू या भाभी आती हैं, उनमें भी एक जैसी सोच नहीं होती है. यहाँ तो धर्म है, समुदाय हैं और अलग-अलग हमारी सोच है. विचारों में विभिन्नता होना मेरे ख़याल से एक सामान्य चीज़ है. इसमें कोई परेशानी मैं नहीं समझती, लेकिन अल्पसंख्यकों की अपनी असुरक्षा होती है. अपनी मर्ज़ी वाली बात वहाँ चलती है, जहाँ सोच ऊँची हो.”

पेशे से वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता गुनीत कौर अपने ट्विटर हैंडल पर लिखती हैं, “मैं नहीं जानती थी कि डीजीएमसी (दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) के चुनावी एजेंडे में महिलाओं को नियंत्रित करना भी शामिल है. हमलोग एक ख़तरनाक रास्ते की तरफ़ जा रहे हैं. एक सिख महिला होने के नाते यह मेरे लिए बहुत डरावना है.”

खुशी कौर लिखती हैं, “अब मैं ख़ामोश नहीं रह सकती. क्या हमें उन सब सिख महिलाओं को वापस लाना चाहिए जिन्होंने हिंदुओं से शादी की है. उन सिख मर्दों का क्या जिन्होंने क़ौम (सिख समुदाय) के बाहर शादी की है और विदेशों में रहने वाले सिखों का क्या जिन्होंने ग़ैर-भारतीयों से शादी की है.”

जेएनयू से पीएचडी करने वालीं और कश्मीर की रहने वालीं कोमल जेबी सिंह कहती हैं, “ऑनर और शर्म की सारी ज़िम्मेदारी महिला के शरीर पर ही होती है, चाहे वो किसी भी धर्म की हो. दोनों तरफ़ के लोग इसे जीत और हार के रूप में देखते हैं. काश उनको बात समझ में आती, उनकी थोड़ी काउंसलिंग की जाती और सबकुछ समझकर फ़ैसला किया जाता.”