राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने विवादास्पद कृषि कानूनों पर बड़ा बयान दिया है। पवार ने गुरुवार को कहा कि कृषि कानूनों को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता। हां, इतना जरूर है कि कानून के उस हिस्से में संशोधन करना चाहिए, जिसको लेकर किसानों को दिक्कत है।
मुंबई में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम के दोरान शरद पवार से जब पूछा गया कि क्या कृषि कानून के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार प्रस्ताव लाएगी। इस पर उन्होंने कहा, “पूरे बिल को खारिज कर देने के बजाए हम उस हिस्से में संशोधन कर सकते हैं जिसे लेकर किसानों को आपत्ति है। इस बिल से संबंधित सभी पक्षों से विचार करने के बाद ही इसे विधानसभा में लाया जाएगा।
शरद पवार ने कहा कि महाविकास अघाडी सरकार के मंत्रियों का एक समूह इस कानून पर विचार कर रहा है। अगर ये समूह किसानों के हक में जरूरी बदलाव लेकर आता है तो इन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं है।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि राज्यों को अपने यहां इस कानून को पास करने से पहले इसके विवादित पहलुओं पर विचार करना चाहिए तभी इस पर फैसला लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि महाराष्ट्र विधानसभा के दो दिनों के सत्र में इस पर कोई चर्चा की जाएगी। यदि ये आता है तो इस पर विचार किया जाना चाहिए।
पवार ने कहा कि किसान पिछले 7 महीने से देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों और केंद्र के बीच डेडलॉक की स्थिति बन गई है। केंद्र को पहल करके किसानों से बातचीत करनी चाहिए। गौरतलब है कि केंद्र के द्वारा पास किए गए कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली में पिछले साल 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है। किसान गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।