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INS करंज: नौसेना का नया सदस्य, जिसे कहा जा रहा है ‘साइलेंट किलर’

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‘साइलेंट किलर’ (Silent Killer) कही जाने वाली स्कॉर्पीन क्लास (Scorpene Class) की पनडुब्बी (Submarine) INS करंज भारतीय नौसेना (Indian Navy) में शामिल हो चुकी है. बुधवार को हुए इस कार्यक्रम में नेवल स्टाफ के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और रिटायर्ड एडमिरल वीएस शेखावत मौजूद रहे. इस दौरान सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के ‘आत्मनिर्भरता’ विजन की काफी सराहना की है. नौसेना के इस नए सदस्य को काफी घातक और शक्तिशाली माना जाता है. यह स्कॉर्पीन क्लास की तीसरी पनडुब्बी है.

INS करंज का निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड और फ्रांस की

कंपनी डायरेक्शन डेस कंस्ट्रक्शन्स नेवेल्स (DCNS) ने मिलकर किया है. मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि इसके निर्माण में DCNS का योगदान काफी कम ही रहा है. इससे पहले सितंबर 2019 को INS खंडेरी नौसेना में शामिल हुई थी. सेना में शामिल होने वाली स्कॉर्पीन क्लास की पहली पनडुब्बी INS कलवारी थी. ये अक्टूबर 2017 को सेना का हिस्सा बनी थी.

क्या हैं INS करंज की खासियतें
INS करंज की लंबाई 65 मीटर से ज्यादा है. जबकि, ऊंचाई 40 फीट है. खास बात है कि पानी के अंदर रहते हुए इसका वजह 1775 टन होता है, लेकिन पानी के बाहर यह 1615 टन वजनी हो जाती है. वहीं, पानी के अंदर रहते हुए INS करंज 37 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलते है. पानी के बाहर यह आंकड़ा 20 किमी प्रति घंटा हो जाता है. इसमें 8 अधिकारी और 35 नाविक रह सकते हैं. उच्च क्वालिटी के सोनार सिस्टम की वजह से इसे साइलेंट किलर कहा जा रहा हैय़

INS करंज अपने आकार के लिए भी खासी चर्चा में है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि आकार छोटा होने के कारण ये दुश्मनों के लिए सिरदर्द बन सकती है. वहीं, छोटा आकार इसे मैन्यूवरिंग में भी मददगार होगा. सबसे खास यह है कि दुश्मन इस छोटी पनडुब्बी का आसानी से पता नहीं लगा सकेंगे. पानी के अंदर रहते हुए इसकी रेंज 1020 किमी होती है, लेकिन सतह पर रेंज 12 हजार किमी हो जाती है. खास बात है कि INS करंज 50 दिनों तक पानी के अंदर रह सकती है.

फिलहाल INS कलवारी और INS खंडेरी सेना में अपनी सेवाएं दे रही हैं. इस कार्यक्रम में प्रस्तावित सभी पनडुब्बियां 2022-2023 तक डिलीवर होने का अनुमान है. INS करंज को नौसेना में शामिल किए जाने से पहले करीब 100 दिनों तक ट्रायल्स के दौर से गुजरना पड़ा था. वहीं, INS वेला और INS वागीर के सी ट्रायल जारी हैं. INS वाग्शीर का निर्माण जारी है.