भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) के विरोध में नंदीग्राम में हुए आंदोलन से ही 2011 में बनर्जी सत्ता में आई थीं. इस बार विधान सभा चुनाव के दूसरे चरण में उनका मुकाबला अपने ही विश्वस्त सहयोगी रहे शुवेंदु अधिकारी से होगा, जो अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं. अधिकारी ने ममता बनर्जी को 50 हजार मतों से पराजित करने का संकल्प लिया है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) नंदीग्राम सीट (Nandigram Seat) से 10 मार्च को नामांकन पत्र दाखिल करेंगी. इसके दो दिन बाद ममता के सबसे करीबी रहे शुवेंदू अधिकारी (Suvendu Adhikari) बीजेपी के टिकट पर इसी सीट से पर्चा भरेंगे. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने अपने राजनीतिक जीवन को नंदीग्राम से ही ऊंचाई दी थी. नंदीग्राम ममता बनर्जी के लिए बेहद अहम जगह है. उनके यहां से चुनाव लड़ने के फैसले के बाद करीब दो लाख मतदाताओं वाली नंदीग्राम सीट (Nandigram Assembly Seat) अब वो सीट बन गई है, जिस पर पूरे देश निगाहें होंगी.
भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) के विरोध में नंदीग्राम में हुए आंदोलन से ही 2011 में बनर्जी सत्ता में आई थीं. इस बार विधान सभा चुनाव के दूसरे चरण में उनका मुकाबला अपने ही विश्वस्त सहयोगी रहे शुवेंदु अधिकारी से होगा, जो अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं. अधिकारी ने ममता बनर्जी को 50 हजार मतों से पराजित करने का संकल्प लिया है.
शुवेंदू अधिकारी ने ममता के लिए तैयार की थी जमीन
साल 2007 में हुए नंदीग्राम आंदोलन से ही बंगाल की राजनीति में ममता का प्रवेश हुआ था. इस आंदोलन ने राज्य में दशकों तक रही वाम दलों की सत्ता को उखाड़ फेंका था. इस आंदोलन का खाका शुवेंदू ने ही तैयार किया था. मेदिनीपुर, पुरुलिया जैसे जिलों में टीएमसी को मजबूत करने का क्रेडिट शुवेंदू अधिकारी को ही जाता है.
तब अधिकारी कांथी दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक थे. उन्होंने भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति के तहत लोगों को जमा किया और वाम सरकार के खिलाफ भूमि आंदोलन को रफ्तार दी. जब वाम दल की जीत तय मानी जा रही थी, तब शुवेंदू अधिकारी ने ही सीबीआई एम के बाहुबली उम्मीदवार लक्ष्मण सेठ को हराया था.
क्यों हुआ ममता बनर्जी का शुवेंदू अधिकारी से मतभेद?
एक समय पश्चिम बंगाल सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले शुवेंदू अधिकारी बीते दिनों पार्टी और मंत्री पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए. इस्तीफा देने से पहले अधिकारी परिवहन मंत्री का पद संभाल रहे थे. उनके इस्तीफे के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में बवाल खड़ा हो गया था.
अधिकारी की ममता से नाराजगी इस बात से थी कि वह पार्टी के दूसरे नेताओं की तुलना में अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को ज्यादा तरजीह दे रही थीं. हालांकि, शुवेंदू ने पार्टी में रहते हुए इस बारे में कभी खुलकर नहीं कहा, लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद वह लगातार ममता और अभिषेक दोनों पर हमलावर रहे हैं.
बंगाल में 8 चरणों में चुनाव
पश्चिम बंगाल की 294 विधान सभा सीटों पर 8 चरणों में चुनाव होगा. पहला चरण- 27 मार्च, दूसरा चरण- 1 अप्रैल, तीसरा चरण- 6 अप्रैल, चौथा चरण- 10 अप्रैल, पांचवा चरण- 17 अप्रैल, छठा चरण- 22 अप्रैल, सातवां चरण- 26 अप्रैल और आठवां चरण- 29 अप्रैल को होगा. इस दौरान रिटायर्ड पुलिस अधिकारी विवेक दुबे और एम. के. दास को ऑब्जर्वर बनाया गया है. पश्चिम बंगाल में 2016 में 77,413 चुनाव केंद्र थे, जबकि इस बार 1,01,916 चुनाव केंद्र होंगे. 2 मई को रिजल्ट आएगा.