बिलासपुर। सरगुजा जिले में खरीफ की खेतीं के बाद मनरेगा के कार्यों में रोजगार के अवसर मिलेंगे।सभी ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्य शीघ्र आरंभ किए जाएंगे। वन अधिकार प्राप्त हितग्राहियों को डेढ़ सौ दिनों का रोजगार दिया जाएगा।खरीफ की खेती के बाद गांवों में रोजगार के अवसर नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों के शहरों की ओर रुख करने की परंपरा रही है। रबी की खेती के लिए हर गांव में सिंचाई सुविधा की उपलब्धता नहीं होने से लोग काम के सिलसिले में शहर आते हैं।
गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने मनरेगा को सशक्त माध्यम मानकर कलेक्टर संजीव झा ने गांवों में ज्यादा से ज्यादा कार्य स्वीकृत करने कहा है। कलेक्टर ने वन अधिकार पत्र धारक हितग्राहियों को मनरेगा के तहत 150 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सारी व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। ऐसे लोगों की एमआईएस में रजिस्ट्रेशन तथा जॉब कार्ड का मैपिंग कराकर रोजगार उपलब्ध कराने तत्काल कार्रवाई शुरु करने का निर्देश उन्होंने दिया है।
उन्होंने कहा है कि सभी ग्राम पंचायत में मनरेगा के अधिक से अधिक कार्य स्वीकृत कराएं। गांवों में मनरेगा का कार्य स्वीकृत हो जाने से ग्रामीणों को शहर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।कलेक्टर ने वन अधिकार पत्र के निरस्त दावों के पुनरीक्षण कार्य में तेजी लाने के लिए आदिवासी विभाग के मंडल संयोजक तथा मास्टर ट्रेनर को आवश्यक दायित्व देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि निरस्त दावों के हितग्राही को निरस्तीकरण की सूचना अवश्य दें ताकि वह अपने आवेदन की स्थिति के संबंध में सही जानकारी प्राप्त कर सके।
कलेक्टर ने रबी सीजन में किसानों को दाल की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए रकबे के लक्ष्य को दोगुना करने का भी निर्देश दिया है। दलहन फसल की खेतीं से किसानों को जोड़ने के लिए आवश्यक प्रबंध करने के कलेक्टर के निर्देश के बाद कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जितने जमीन पर किसान अरहर की खेती करेंगे उसके आधे जमीन के लिए कृषि विभाग बीज उपलब्ध कराए और शेष आधे जमीन पर किसान स्वयं बीज की व्यवस्था करें।