चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सशस्त्र बलों ने कई सबक सीखे हैं. अब इन्हें नियोजित थिएटराइजेशन मॉडल में शामिल करने की जरूरत है.
CDS अनिल चौहान ने ये बात इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव 2025 में कही है. उन्होंने कहा कि अब पाकिस्तान के हर कोने में हमें अपनी निगरानी बढ़ानी होगी.
इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव 2025 के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान ने कहा कि आज के समय में न्यू नॉर्मल नीति का मतलब चौबीसों घंटे बेहतर तैयारी, जो मुझे लगता है कि बहुत ज़रूरी है. हमें अपनी वायु रक्षा, मानवरहित हवाई प्रणाली (यूएएस) से निपटने और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में बेहतर तैयारी करनी चाहिए.
पाकिस्तान के हर कोने में आईएसआर
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के हर कोने में आईएसआर होना चाहिए. इसका मतलब खुफिया, निगरानी और टोही है. सेना के लिए यही न्यू नॉर्मल का क्या अर्थ है. इस आईएसआर को हमें डेवलप करना होगा. उम्मीद है कि “जब हम बदलेंगे, तो विरोधी भी बदलेगा और इस नई सामान्य स्थिति को स्वीकार करेगा.
जनरल चौहान ने ज़ोर देकर कहा कि तकनीकी रूप से हमें अपने सामने वाले से आगे रहना होगा. पिछली बार हमने शायद सिर्फ़ स्थिर लक्ष्यों को निशाना बनाया था, लेकिन भविष्य में हमें गतिशील लक्ष्यों पर भी हमला करने के बारे में सोचना पड़ सकता है.
ऑपरेशन सिंदूर से सीखे कई सबक
सीडीएस चौहान ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के बाद, हमने कुछ और सबक सीखे हैं, मुझे उन्हें इस मॉडल में शामिल करने की आवश्यकता है, जिसे हमने तैयार किया है. हमारे पास उरी, बालाकोट, (ऑपरेशन) सिंदूर, गलवान, डोकलाम, कोविड के अनुभव हैं. इसलिए हमें उस विशेष अनुभव को समाहित करके एक ऐसा संगठनात्मक ढांचा बनाने की आवश्यकता है जो सभी परिस्थितियों के लिए उपयुक्त हो.
मौजूदा समय में, थल सेना, नौसेना और वायुसेना की अलग-अलग कमान हैं. “ऐसा एक भी दिन नहीं होता जब हम चारों (तीनों सेना प्रमुख और सीडीएस) दिल्ली में हों, यही सबसे बड़ी चुनौती है.



