“GST Reform : दूध, भुजिया, शैंपू, जूते, नवरात्र के पहले दिन से क्या-क्या होगा सस्ता?”
फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 3 सितंबर को नई दिल्ली में हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं मीटिंग ने भारत के इनडायरेक्ट टैक्स स्ट्रक्चर में व्यापक बदलाव का मार्ग प्रशस्त कर दिया है.
22 सितंबर यानी नवरात्र के पहले दिन से लागू होने वाले ये बदलाव सीधे तौर पर घरेलू बजट को प्रभावित करेंगे. डूली यूज की कई वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी जिसमें दूध, भुजिया, शैंपू, टूथ पेस्ट, दालें, जूते आदि शामिल हैं. वहीं कुछ कैटेगिरी पर टैक्स की दरें ज्यादा ही देखने को मिलेगी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर शारदीय नवरात्र के पहले दिन सरकार ने आम लोगों को किस तरह का तोहफा दिया है. इसका मतलब है कि सरकार की ओर से फेस्टिव सीजन पर किस तरह का गिफ्ट दिया है.
क्या-क्या हो जाएगा सस्ता? फूड और डेली यूज के सामान
मिल्क प्रोडक्ट: यूएचटी दूध अब टैक्स फ्री होगा (5 फीसदी से कम), जबकि गाढ़ा दूध, मक्खन, घी, पनीर और चीज पर टैक्स 12 फीसदी से घटकर 5 फीसदी या कुछ मामलों में जीरो हो गया है.
स्टेपल फूड प्रोडक्ट्स: माल्ट, स्टार्च, पास्ता, कॉर्नफ्लेक्स, बिस्कुट, और यहां तक कि चॉकलेट और कोको प्रोडक्ट्स पर भी कर 12-18 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो जाएगा.
ड्राइ फ्रूट्स और नट्स: बादाम, पिस्ता, हेज़लनट, काजू और खजूर, जिन पर पहले 12 फीसदी टैक्स लगता था, अब केवल 5 फीसदी टैक्स होगा.
चीनी और मिठाइयां: रिफाइंड चीनी, चीनी सिरप और टॉफ़ी व कैंडी जैसी मिठाइयां 5 फीसदी टैक्स स्लैब में आ गई हैं.
अन्य पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट्स: वनस्पति तेल, पशु वसा, खाद्य स्प्रेड, सॉसेज, मांस से बने पदार्थ, मछली उत्पाद और माल्ट एक्सट्रेक्ट-बेस्ड पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट्स को 5 फीसदी की कैटेगिरी में रखा गया है.
‘नमकीन, भुजिया, मिक्सचर, चबेना और इसी तरह के खाने के लिए तैयार फूड प्रोडक्ट्स (भुने हुए चने को छोड़कर), पहले से पैक और लेबल लगे, 18 फीसदी से 5 फीसदी टैक्स के दायरे में रखे जाएंगे.”
”पानी, जिसमें प्राकृतिक या आर्टिफिशियल मिनरल्स वॉटर और रेयरेटिड वॉटर शामिल हैं, जिनमें अतिरिक्त चीनी या अन्य मीठा पदार्थ या स्वाद नहीं मिलाया गया है, 18 फीसदी से 5 फीसदी टैक्स के दायरे में रखे जाएंगे.”
एग्री और फर्टीलाइजर फर्टीलाइजर (12 फीसदी/18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी). बीज और फसल पोषक तत्वों सहित चुनिंदा क्रॉप न्यूट्रिएंट्स पर टैक्स रेट 12 फीसदी से कम होकर 5 फीसदी कर दिया गया है.
हेल्थ सर्विस और एजुकेशन जीवन रक्षक दवाओं, स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों और कुछ चिकित्सा उपकरणों पर टैक्स की दर में कटौती की गई है. जिन्हें 12 फीसदी /18 फीसदी से कम कर 5 फीसदी या जीरो कर दिया गया है.
एजुकेशन सर्विसेज और बुक्स तथा शिक्षण सहायक सामग्री जैसी वस्तुओं पर से जीएसटी 5 फीसदी-12 फीसदी से घटाकर शून्य या 5 फीसदी कर दिया गया है.
कंज्यूमर प्रोडक्ट्स इलेक्ट्रॉनिक्स: शुरुआती स्तर और आम लोगों के इस्तेमाल वाली वस्तुओं जैसे चुनिंदा उपकरणों पर जीएसटी 28 फीसदी से घटकर 18 फीसदी हो जाएगा.
जूते और कपड़ा: जीएसटी 12 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो जाएगा, जिससे बड़े पैमाने पर बिकने वाले उत्पादों की लागत कम हो जाएगी.
कागज: कुछ ग्रेड पर जीएसटी 12 फीसदी से घटकर शून्य हो जाएगा.
”हेयर ऑयल, शैम्पू, डेंटल फ्लॉस, टूथपेस्ट पर जीएसटी 18 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो जाएगा.””
ऑटो सेक्टर; छोटी कारों पर जीएसटी 28 फीसदी से घटकर 18 फीसदी हो जाएगा. 350 सीसी और उससे कम क्षमता वाली मोटरसाइकिलों पर जीएसटी 28 फीसदी से घटकर 18 फीसदी हो जाएगा. बड़ी कारों और मोटरसाइकिलों पर जीएसटी 40 फीसदी, कोई अतिरिक्त सेस नहीं. सभी कार पुर्जों पर जीएसटी 18 फीसदी होगा.
इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी 5 फीसदी पर बरकरार रहेगा.
दूसरे सेक्टर्स उमें क्या होगा सस्ता रिन्यूएबल एनर्जी कंपोनेंट्स: 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी.
निर्माण सामग्री: प्रमुख कच्चे माल 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी.
खेल के सामान और खिलौने: 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी.
चमड़ा, लकड़ी और हस्तशिल्प: 5 फीसदी टैक्स कर के दायरे में लाए गए.
संक्षेप में, किराने के सामान और फर्टिलाइजर्स से लेकर जूते, कपड़ा और यहां तक कि रिन्यूएबल एनर्जी तक, वस्तुओं और सेवाओं की एक काफी बड़ी रेंज अधिक किफायती होने वाली है, जिससे आम परिवार, छोटे व्यवसायों और महत्वाकांक्षी मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी.
क्या-क्या होने वाला है महंगा?
सिन प्रोडक्ट्स: पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, चबाने वाला तंबाकू, जर्दा, बिना निर्मित तंबाकू और बीड़ी पर मौजूदा हाई जीएसटी दरें और क्षतिपूर्ति कंपंसेशन सेस तब तक लागू रहेंगे जब तक कि बकाया सेस-संबंधी लोन का भुगतान नहीं हो जाता. इसके अतिरिक्त, इन प्रोडक्ट्स का वैल्यूएशन अब ट्रांजेक्शन वैल्यू के बजाय खुदरा बिक्री मूल्य (आरएसपी) पर ट्रांसफर कर दिया जाएगा. जिससे कंपलायंस कड़ा हो जाएगा.
सभी तरह का पानी, जिनमें अतिरिक्त चीनी या अन्य मीठा पदार्थ या स्वाद शामिल हैं, पर कर 28 फीसदी से बड़ाकर 40 फीसदी किया जाएगा.
लग्जरी और प्रीमियम प्रोडक्ट्स; सिन और लग्जरी की वस्तुओं के लिए 40 फीसदी की नई दर लागू रहेगी, जिससे सिगरेट, प्रीमियम शराब और महंगी कारों जैसी वस्तुओं पर कर में छूट नहीं मिलेगी. इंपोर्टेड आर्मर्ड लग्जरी सेडान केवल विशेष मामलों में ही छूट प्राप्त होंगी, जिन्हें राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा इंपोर्ट किया जाएगा. एनर्जी और फ्यूल कोयले पर, जिस पर पहले 5 फीसदी टैक्स लगता था, अब 18 फीसदी टैक्स लगेगा, जिससे कोयला आधारित उद्योगों की लागत बढ़ जाएगी.
सर्विस “स्पेसिफाइड प्रिमिसेस” में संचालित होने वाले रेस्टोरेंट अब आईटीसी विकल्प के साथ खुद को 18 फीसदी टैक्स के लिए पात्र घोषित नहीं कर सकते, जिससे एक संभावित खामी दूर हो जाएगी.
कुछ लॉटरी और इंटरमिडिएटरी सर्विसेज को रिडिफाइंउ वैल्यूएशन नियमों का सामना करना पड़ेगा, जिससे उनका टैक्स का भार बरकरार रहेगा या उससे अधिक रहेगा.