यूपी की एक महिला टीचर 25 सरकारी स्कूलों में नौकरियां कर रही थीं. उन्होंने सरकारी वेतन के रूप में करोड़ों की कमाई की. जब इसका भेद खुला तो सभी के हाथ पांव फूल गए. आइए आपको बताते हैं कि ये टीचर कौन हैं
वर्ष 2020 में अनामिका शुक्ला का नाम प्रदेश भर में सुर्खियों में आ गया था. इस नाम पर 25 जिलों में 25 अनामिका शुक्ला ने नौकरियां पालीं. इतना ही नहीं सभी ने 13 महीनों का मानदेय भी ले लिया. इस खुलासे के बाद प्रदेश के अलग अलग जिलों में अनामिका शुक्ला के नाम से प्राइमरी टीचर की नौकरियां करने वालों की धर पकड होने लगी. कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में भी अनामिका शुक्ला नाम की एक टीचर अगस्त 2018 से तैनात थीं. जैसे ही इस मामले में बीएसए अंजलि अग्रवाल ने टीचर को नोटिस भेजकर प्रमाणपत्रों के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिए, लेकिन टीचर ने बीएसए ऑफिस पहुंचकर किसी अन्य से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद शक हुआ तो उन्हें अरेस्ट कर लिया गया. इस टीचर का असली नाम अनामिका सिंह था, जो अनामिका शुक्ला के नाम पर नौकरी कर रही थीं. उन्हें हर महीने 30 हजार रुपये की सैलरी मिल रही थी. इस तरह उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग से एक करोड़ रुपये की सैलरी उठाई.
अनामिका शुक्ला मूल रूप से मैनपुरी जिले के हसनपुर की निवासी थीं. उन पर एक साथ 25 जिलों में फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी पाने का आरोप लगा था. वह एक साथ 25 जिलों में अलग अलग स्कूलों में काम करती रहीं और किसी को भनक नहीं लगी. इसका खुलासा तब हुआ, जब बेसिक शिक्षा विभाग ने टीचर्स का डाटाबेस बनाया और उसमें एक जैसा नाम आने पर विभाग ने इसके जांच के आदेश दिए. जिसके बाद विभाग की जांच में यह सामने आया कि अनामिका शुक्ला को प्रदेश के 25 अलग अलग स्कूलों में नियोजित किया गया था. जब विभाग ने रिकॉर्ड अपलोड किया तो पाया कि अनामिका शुक्ला का नाम एक ही शैक्षणिक रिकॉर्ड के साथ 25 स्कूलों में दर्ज था. वह प्रयागराज अलीगढ़ समेत अमेठी, अंबेडकरनगर, रायबरेली आदि जिलों में एक टीचर के रूप में रजिस्टर्ड थीं.