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छत्तीसगढ़ : 6000 करोड़ से उपर के महादेव सट्टा ऐप घोटाला में छत्तीसगढ़ ACB ने दर्ज की एफआईआर, आरोपी कौन इस पर ख़ामोशी”

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6000 करोड़ से उपर के महादेव सट्टा ऐप घोटाला में छत्तीसगढ़ ACB ने दर्ज की एफआईआर, आरोपी कौन इस पर ख़ामोशी”

“छत्तीसगढ़ में चर्चित महादेव सट्टा ऐप मामले में अब राज्य की जांच एजेंसी ने एफआईआर दर्ज कर लिया है।‌ सूत्र है बताते हैं कि इसमें कई अधिकारी और कारोबारी के नाम भी शामिल किए गए हैं। “छत्तीसगढ़ महादेव सट्टा मामला” महादेव सट्टा ऐप मामला” महादेव बेटिंग ऐप” छत्तीसगढ़ राज्य जांच एजेंसी” महादेव सट्टा ऐप मामले में एफआईआर”

“छत्तीसगढ़” “महादेव सट्टा ऐप में ईडी की कार्यवाही के बाद अब ACB और EOW में एक एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच एजेंसी ने कथित महादेव बैटिंग ऐप घोटाले मामले में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है।

राज्य की जांच एजेंसी ने दर्ज किया एफआईआर महादेव सट्टा मामले को लेकर प्रदेश की जांच एजेंसी ACB/EOW ने मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। सूत्रों की माने तो इस FIR में कई प्रदेश के बड़े अधिकारियों और कई कारोबारियों के नाम दर्ज है। बताया‌ जा रहा है कि  मामला 4 मार्च को दर्ज किया गया था, जिसपर अब जांच भी शुरू हो गई है। FIR  को लेकर सूत्र यह बता रहे हैं कि इसमें कई बड़े लोगों का नाम होने के कारण इस बेहद ही गुप्त रखा गया है।

यह भी बताया जा रहा है कि मामले में आईपीसी की धारा 120 (बी), 420, आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1998 की धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।‌ ईडी‌ की जांच में किए गए थे दावे जब से महादेव सट्टा मामले को लेकर ईडी जांच कर रही है उस वक्त‌ से मामले में कई हैरत‌ करने वाली‌ बातें सामने आई है।

जानकारी के अनुसार ईडी ने पहले मामले की जांच की थी और ईडी द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने महादेव सट्टेबाजी आवेदन पर मामला दर्ज किया था। जिसे लेकर अब तक गुप्त रखा गया था, इसके पीछे की‌ वजह यह मानी जा रही है कि‌ ED ने इसमें कई बड़े लोगों के नाम पर एफआईआर की है।

वहीं मामले में अधिकारियों ने आरोपी के नाम से इनकार किया और दावा किया कि मामले की जांच चल रही है। इस मामले को लेकर ईडी‌ लगातार जांच कर रही है।

मामले में अक्टूबर‌ 2022 में  ईडी ने दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर में छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी। यह महादेव सट्टा को लेकर पुलिस के द्वारा की गई सबसे पहली कार्रवाई थी।

जिसके बाद महादेव सट्टा मामले में ईडी की जांच से पता चला है कि महादेव ऑनलाइन बुक पोकर, कार्ड गेम, चांस गेम, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल आदि जैसे विभिन्न लाइव गेम्स में अवैध सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करता है और खेलने की सुविधा भी प्रदान करता है।

कई कार्ड गेम जैसे तीन पत्ती, पोकर, ड्रैगन टाइगर, कार्ड का उपयोग करके वर्चुअल क्रिकेट गेम आदि, यहां तक ​​ये कुछ अन्य ऐप का इस्तेमाल करके सट्टेबाज भारत में चुनावों पर दांव लगवाने का काम करते‌ थे। ईडी ने मामले में की थी‌ पहली गिरफ्तारी महादेव सट्टा ऐप मामले को लेकर ईडी ने पहली गिरफ्तारी अगस्त 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग से जोड़ते‌ हुए की थी।

इस मामले में ED ने चार लोगों की  गिरफ्तार‌ किया था। उसके बाद इसी साल अक्टूबर 2023 में ईडी के द्वारा उन दिनों के तत्कालीन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी लोगों से भी पूछताछ की गई थी।

ईडी‌ ने जिन लोगों से पूछताछ की उनमें सीएम के  राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और ओएसडी – मनीष बंछोर और आशीष वर्मा शामिल थे। जिसके बाद ईडी‌ ने सभी लोगों को सिर्फ पूछताछ के बाद छोड़ दिया था।‌ विधानसभा चुनाव के दौरान भी चर्चा‌ रहा महादेव सट्टा मामला वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान भी ईडी‌ की कार्रवाई लगातार जारी रही‌।‌

चुनाव के दौरान भी ईडी ने नवंबर 2023 में एक कथित कैश कूरियर असीम दास को गिरफ्तार किया था। दास और एक अन्य आरोपी कांस्टेबल भीम सिंह यादव को ईडी ने 3 नवंबर को गिरफ्तार किया था। वहीं इनके पास से करोड़ों की‌ नगदी‌ भी‌ बरामद हुई थी। यह पैसा दुबई से रायपुर लाया‌ जाना बताया‌ जा रहा था।

उन दिनों महादेव सट्टेबाजी ऐप के  एक प्रमोटर ने वीडियो वारयल करते हुए तत्कालीन सीएम बघेल को अब तक लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आरोप भी लगाया‌ था। जिसके बाद ईडी‌ ने इस बात को गंभीरता ले लेते हुए इस विषय‌ पर भी जांच की है।

जब से महादेव सट्टा मामले को लेकर ईडी जांच कर रही है उस वक्त‌ से मामले में कई हैरत‌ करने वाली‌ बातें सामने आई है। जानकारी के अनुसार ईडी ने पहले मामले की जांच की थी और ईडी द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने महादेव सट्टेबाजी आवेदन पर मामला दर्ज किया था।

जिसे लेकर अब तक गुप्त रखा गया था, इसके पीछे की‌ वजह यह मानी जा रही है कि‌ ED ने इसमें कई बड़े लोगों के नाम पर एफआईआर की है। वहीं मामले में अधिकारियों ने आरोपी के नाम से इनकार किया और दावा किया कि मामले की जांच चल रही है।

इस मामले को लेकर ईडी‌ लगातार जांच कर रही है। मामले में अक्टूबर‌ 2022 में ईडी ने दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर में छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी।

यह महादेव सट्टा को लेकर पुलिस के द्वारा की गई सबसे पहली कार्रवाई थी। जिसके बाद महादेव सट्टा मामले में ईडी की जांच से पता चला है कि महादेव ऑनलाइन बुक पोकर, कार्ड गेम, चांस गेम, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल आदि जैसे विभिन्न लाइव गेम्स में अवैध सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करता है और खेलने की सुविधा भी प्रदान करता है।

कई कार्ड गेम जैसे तीन पत्ती, पोकर, ड्रैगन टाइगर, कार्ड का उपयोग करके वर्चुअल क्रिकेट गेम आदि, यहां तक ​​ये कुछ अन्य ऐप का इस्तेमाल करके सट्टेबाज भारत में चुनावों पर दांव लगवाने का काम करते‌ थे।

ईडी ने मामले में की थी‌ पहली गिरफ्तारी

रफ्तारी अगस्त 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग से जोड़ते‌ हुए की थी। इस मामले में ED ने चार लोगों की गिरफ्तार‌ किया था। उसके बाद इसी साल अक्टूबर 2023 में ईडी के द्वारा उन दिनों के तत्कालीन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी लोगों से भी पूछताछ की गई थी। ईडी‌ ने जिन लोगों से पूछताछ की उनमें सीएम के  राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और ओएसडी – मनीष बंछोर और आशीष वर्मा शामिल थे। जिसके बाद ईडी‌ ने सभी लोगों को सिर्फ पूछताछ के बाद छोड़ दिया था।‌

विधानसभा चुनाव के दौरान भी चर्चा‌ रहा महादेव सट्टा मामला

वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान भी ईडी‌ की कार्रवाई लगातार जारी रही‌।‌ चुनाव के दौरान भी ईडी ने नवंबर 2023 में एक कथित कैश कूरियर असीम दास को गिरफ्तार किया था। दास और एक अन्य आरोपी कांस्टेबल भीम सिंह यादव को ईडी ने 3 नवंबर को गिरफ्तार किया था। वहीं इनके पास से करोड़ों की‌ नगदी‌ भी‌ बरामद हुई थी। यह पैसा दुबई से रायपुर लाया‌ जाना बताया‌ जा रहा था। उन दिनों महादेव सट्टेबाजी ऐप के  एक प्रमोटर ने वीडियो वारयल करते हुए तत्कालीन सीएम बघेल को अब तक लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आरोप भी लगाया‌ था। जिसके बाद ईडी‌ ने इस बात को गंभीरता ले लेते हुए इस विषय‌ पर भी जांच की है।