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छत्तीसगढ़ : शराब घोटाला मामले में ACB की बड़ी कार्रवाई, दो ब्यूरोक्रेट्स और कारोबारियों के ठिकानों पर रेड

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त्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान सामने आए कथित शराब घोटाले के सिलसिले में रविवार को दो पूर्व आईएएस अधिकारियों और कुछ व्यापारियों सहित 13 लोगों के परिसरों पर छापेमारी की.

एजेंसी के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि कार्रवाई में उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एक बिजनेसमेन का परिसर भी शामिल है.

एसीबी और ईओडब्ल्यू अधिकारियों के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय की एक शिकायत के आधार पर कथित शराब घोटाले में पिछले महीने राज्य एजेंसी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में कांग्रेस के कई नेताओं और कारोबारियों सहित 70 लोगों को नामित किया गया है. उन्होंने बताया कि FIR भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988, संशोधित अधिनियम 2018 और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दर्ज की गई थी. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इन संदिग्ध लोगों से जुड़े परिसरों की तलाशी के लिए रायपुर की एक स्पेशल कोर्ट से तलाशी वारंट प्राप्त करने के बाद, एसीबी-ईओडब्ल्यू ने रविवार सुबह छापेमारी शुरू की.

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किन लोगों के परिसरों पर की गई छापेमारी?
एजेंसियों के द्वारा पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड (रिटायर्ड IAS अधिकारी), वाणिज्य और उद्योग विभाग के पूर्व सचिव अनिल टुटेजा (रिटायर्ड IAS अधिकारी), उत्पाद विभाग के तत्कालीन आयुक्त निरंजन दास, उत्पाद शुल्क अधिकारी अशोक कुमार सिंह, व्यवसायी अनवर ढेबर (कांग्रेस नेता और रायपुर के मेयर ऐजाज ढेबर के भाई), अरविंद सिंह और सिद्धार्थ सिंघानिया के रायपुर के परिसरों में छापेमारी की गई है.

इसके साथ ही छापेमारी में दुर्ग जिले में उत्पाद शुल्क विभाग के तत्कालीन विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी (भारतीय दूरसंचार सेवा अधिकारी), कोरबा जिले में उत्पाद विभाग कोरबा के तत्कालीन सहायक आयुक्त सौरभ बख्शी के परिसर भी शामिल थे. इसके अलावा बिलासपुर जिले में मेसर्स वेलकम डिस्टिलरीज के बिजनेसमेन राजेंद्र जयसवाल और मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट के भूपेन्द्र पाल सिंह भाटिया और कुम्हारी क्षेत्र (दुर्ग जिले) में मेसर्स छत्तीसगढ़ डिस्टिलरी लिमिटेड के नवीन केडिया से जुड़े परिसर भी शामिल थे. बता दें कि उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में विधु गुप्ता की मेसर्स प्रिज्म होलोग्राम एंड सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड पर भी छापेमारी की गई है.

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‘शराब बिक्री से अवैध कमीशन’
ईडी ने एसीबी और ईओडब्ल्यू को अपनी शिकायत में दावा किया था कि कुछ सीनियर अधिकारियों ने निजी और प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ मिलकर राज्य सरकार को नुकसान पहुंचाने और शराब के कारोबार में अपने लिए अवैध लाभ कमाने के लिए आपराधिक काम किए थे. ईडी ने कहा था कि जांच से पता चला है कि छत्तीसगढ़ में एक आपराधिक सिंडिकेट काम कर रहा था, जो शराब की बिक्री में अवैध कमीशन वसूल रहा था और सरकारी शराब की दुकानों के जरिए बेहिसाब शराब की अनधिकृत बिक्री में भी शामिल था.

पिछले साल जुलाई में, ईडी ने रायपुर की एक पीएमएलए कोर्ट में कथित शराब घोटाला मामले में अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) दायर की थी, जिसमें उसने दावा किया था कि 2019 में छत्तीसगढ़ में शुरू हुए कथित ‘शराब घोटाले’ में 2161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ था यह राशि राज्य के खजाने में जानी चाहिए थी.

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अधिकारियों ने कहा कि उत्पाद शुल्क विभाग की मुख्य जिम्मेदारियां शराब की आपूर्ति को विनियमित करना, जहरीली शराब की त्रासदियों को रोकने के लिए यूजर्स को क्वालिटी वाली शराब मुहैया करवाना और राज्य के लिए रेवेन्यू अर्जित करना है. लेकिन अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर के नेतृत्व वाले आपराधिक सिंडिकेट ने इन उद्देश्यों को उल्टा कर दिया है. कहा गया है कि इस सिंडिकेट में राज्य के सीनियर ब्यूरोक्रेट्स, राजनेता, उनके सहयोगी और उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारी शामिल हैं.