मणिपुर की हिंसा अभी थमी नहीं है। भले ही वहां पर सेना, असम राइफल और सीआरपीएफ ने मोर्चा संभाल लिया है, मगर उनके समक्ष नई चुनौतियां आ रही हैं। उपद्रवियों द्वारा जगह-जगह पर खड़ी की गई बाधाएं, सुरक्षा बलों का रास्ता रोक रही हैं।
जिस रफ्तार से सुरक्षा बलों को आगे बढ़ना चाहिए था, वह संभव नहीं हो पा रहा है। उपद्रवियों ने करीब डेढ़ दर्जन पुलिस थानों से हथियार लूट लिए हैं। ऐसे हथियारों की संख्या 350 से अधिक बताई गई है। उपद्रवियों की हिंसा का सबसे ज्यादा असर सीआरपीएफ पर हुआ है। सीआरपीएफ कोबरा के एक जवान की मौत हुई है। इसके अलावा बल के जवानों और अधिकारियों के आवास में आग लगाई गई है।
‘सेकंड इन कमांड’ फिलिप का पूरा घर जला दिया गया है। वाहनों को आग लगा दी गई है। इंफाल से करीब साठ किलोमीटर दूर स्थित गांव तिकांई खुनो में पचास से ज्यादा घर जला दिए गए। इनमें भी कई जवानों के मकान थे। सीआरपीएफ मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अभी नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। कुछ समय बाद ही नुकसान की सही स्थिति का पता चल सकेगा।
सुरक्षा बलों के खिलाफ हो रहा हथियारों का इस्तेमाल
सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर में सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि वहां पुलिस थानों से लूटे गए हथियार अब उपद्रवियों के हाथों में पहुंच गए हैं। सुरक्षा बलों के खिलाफ इन हथियारों का इस्तेमाल हो रहा है। चुराचांदपुर में रिजर्व बटालियन के दो जवान घायल हुए हैं। यहां जो अलग-अलग एनकाउंटर हुए हैं, उनमें उपद्रवियों के हाथों में लूटे गए हथियार बताए गए हैं। सैतोन और तोरबुंग इलाके में भी इन्हीं हथियारों का इस्तेमाल किया गया है। शुक्रवार दोपहर को सीआरपीएफ कोबरा कमांडो चोंगखोलेन की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके अलावा ‘सेकंड इन कमांड’ फिलिप के घर पर हमला किया गया। सीआरपीएफ के कई दूसरे जवान और अफसर जो मणिपुर के बाहर कहीं तैनात हैं, उनमें से कई लोगों के घरों को नुकसान पहुंचाया गया है। गंभीर स्थिति को देखते हुए सीआरपीएफ ने अपने उन जवानों और अफसरों के लिए आदेश जारी किया है, जो छुट्टी के बाद मणिपुर में वापस लौट रहे हैं। इनमें कहा गया है कि वे जवान अपने निकटवर्ती किसी भी कैंप में ठहर जाएं। बल मुख्यालय भी अपने स्तर पर ऐसे जवानों से संपर्क कर रहा है। सीआरपीएफ के वाहनों को भी नुकसान पहुंचा है। मणिपुर में सीआरपीएफ की 27 कंपनियों के अलापा आरएएफ की भी दस कंपनियां पहुंच चुकी हैं।
जवानों को भूखे पेट उपद्रवियों से निपटना पड़ा
सुरक्षा बलों की मूवमेंट में आ रही दिक्कतों के बारे में एक अधिकारी का कहना है कि वहां अनेक स्थानों पर रोड बाधित किए गए हैं। जब तक सुरक्षा बल, उस बाधा को हटवाते हैं, तो दूसरी जगह पर हिंसा की घटना हो जाती है। ऐसी घटनाएं, पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादा हो रही हैं। हालांकि मणिपुर में सेना और असम राइफल भी पहुंच चुकी है, लेकिन उनकी तैनाती में समय लग रहा है। मुख्य मार्ग से दूर दराज के इलाकों में रोड बाधित होने के कारण वहां पर सुरक्षा बल नहीं पहुंच पा रहे हैं। पहाड़ी इलाकों में उपद्रवी, हिंसा करते हैं और तुरंत भाग जाते हैं। जब तक सुरक्षा बल वहां पहुंचते हैं वे किसी दूसरी जगह पर आगजनी कर देते हैं। अधिकांश सुरक्षा बल, शहरों में तैनात हैं, लेकिन पहाड़ की तरफ उपद्रवियों पर अभी किसी का नियंत्रण नहीं है। मणिपुर में पहुंचने के बाद सीआरपीएफ सहित दूसरे बलों को 24 घंटे तक खाने-पीने की बड़ी दिक्कत हुई। जवानों को भूखे पेट उपद्रवियों से निपटना पड़ा। सभी बलों के सेंटरों पर पहले से ही जवान ठहरे हुए थे। इसके बाद कोई भी नई कंपनी आई, उसके रहने और खाने पीने का ठोस इंतजाम नहीं हो सका। सरकार ने मोबाइल नेटवर्क बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन किसी एक कंपनी का नेटवर्क कथित तौर पर चलता रहा। इस वजह से उपद्रवियों ने अपने टारगेट को लेकर आसानी से संदेशों का आदान-प्रदान कर दिया।