छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिएआम आदमी पार्टी(AAP) ने कमर कस ली है. पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने बड़ा दावा किया कि नवंबर 2023 के दौरान होने वाले विधानसभा चुनावों में मुकाबला उनकी पार्टी और सत्तारूढ़ कांग्रेस के बीच होगा .केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ रविवार (5 मार्च) को रायपुर में एक जनसभा को संबोधित किया.
केजरीवाल ने दावा किया कि 2018 के विधानसभा चुनाव हारने से पहले बीजेपी छत्तीसगढ़ पर 15 साल राज कर चुकी है. इस वक्त भगवा पार्टी राज्य में कहीं भी नजर नहीं आ रही है और वह मुकाबले में तो दूर-दूर तक नहीं है.
बता दें कि आम आदमी पार्टी ने ‘बदलाबो छत्तीसगढ़’ (छत्तीसगढ़ में बदलाव) का नारा दिया है, जो पार्टी की चुनावी थीम भी है. आप ने आगामी चुनावों राज्य की सभी 90 सीटों के साथ-साथ पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. बता दें कि मध्य प्रदेश में भी नवंबर 2023 के दौरान विधानसभा चुनाव होंगे.
जोश में है आम आदमी पार्टी
साल 2022 की शुरुआत आम आदमी पार्टी ने बेहद शानदार अंदाज में की थी. दरअसल, केजरीवाल की पार्टी ने राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटें जीतकर भारी जनादेश हासिल किया था. इसके बाद वह पूरे देश में अपना आधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है.हालांकि, 2022 के आखिरी में हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा था. इसके बावजूद पार्टी देश के अन्य हिस्सों में विस्तार करने के लिए लगातार प्रयासरत है.
गौर करने वाली बात है कि पंजाब के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में ‘आप’ का खाता तक नहीं खुला था, जबकि गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से वह सिर्फ पांच पर ही जीत हासिल कर सकी.हालांकि, दोनों राज्यों में मतदाताओं की उदासीनता ने आम आदमी पार्टी के उत्साह को कम नहीं किया. कर्नाटक में चुनाव लड़ने का ऐलान करके पार्टी ने पहले ही अपने इरादे जता दिए हैं. कर्नाटक में मई 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके अलावा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में 2023 के आखिर में चुनाव होंगे.
इतिहास के खिलाफ जंग
छत्तीसगढ़ को साल 2000 में राज्य का दर्जा मिला था और यहां 2003 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था. छत्तीसगढ़ में अब तक कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई देखी गई है, जैसा कि इसके मूल राज्य मध्य प्रदेश में होता है.केजरीवाल ने जब अपने भाषण के दौरान छत्तीसगढ़ में एकध्रुवीय चुनाव होने का ऐलान किया, तब शायद उनके जेहन में राज्य का इतिहास था. दरअसल, केजरीवाल ने बीजेपी को एकदम गर्त में बताने की कोशिश की. साथ ही, कांग्रेस से मुख्य रूप से चुनौती मिलने का दावा किया.
छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी पहली बार कदम नहीं रख रही है. पार्टी ने राज्य में 2018 के दौरान चुनाव लड़ा था और 85 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. इसके बावजूद पार्टी छत्तीसगढ़ में पूरी ताकत झोंक रही है, क्योंकि वह अपने विस्तार के लिए अपार संभावनाएं देख रही है.
केजरीवाल ने खोला पिटारा
केजरीवाल ने रविवार को रायपुर में हुई रैली में अपना पिटारा खोला और अपने पसंदीदा विषय मुफ्त बिजली के मसले पर बात की. बता दें कि केजरीवाल का यह दांव अब तक दिल्ली और पंजाब में ही कामयाब हुआ है.केजरीवाल ने कहा, ‘अगर छत्तीसगढ़ में बिजली पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तो यह लोगों को कम दाम में मिलनी चाहिए. अगर आप मुफ्त बिजली चाहते हैं तो आम आदमी पार्टी को वोट दें.’
केजरीवाल को लगता है कि छत्तीसगढ़ में सुशासन का वादा काम नहीं करेगा, क्योंकि डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली पिछली बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली वर्तमान कांग्रेस सरकार राज्य में सुशासन साबित करने के लिए जानी जाती हैं.ऐसे में मुफ्त या सस्ती बिजली का वादा करना बेहद जरूरी था, जो उत्तराखंड, गोवा, हिमाचल प्रदेश और गुजरात समेत कई राज्यों में पिछले साल असफल रहा था.
बीजेपी के लिए वेक-अप कॉल?
यह बात कुछ हद तक सही है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी अभी तक अच्छी स्थिति में नजर नहीं आई है. दरअसल, अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि पार्टी अपने तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर दांव खेलकर चुनावी मैदान में उतरेगी या नहीं. बता दें कि डॉ. रमन सिंह बीजेपी के तमाम राष्ट्रीय उपाध्यक्षों में से एक हैं या पार्टी उनकी जगह किसी और को भी मैदान में उतार सकती है.
हालांकि, राज्य में गहरी जड़ों वाली बीजेपी जैसी पार्टी को 2018 में बेहद खराब प्रदर्शन के बावजूद नकारा नहीं जा सकता है. पार्टी ने 2013 के विधानसभा चुनावों में 34 सीटें जीती थीं, जबकि 2018 में 16.7 फीसदी वोटों के नुकसान के साथ महज 15 सीटें ही जीत पाई थी.अगर छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस की मदद कोई कर सकता है तो वह आम आदमी पार्टी की मौजूदगी है. दरअसल, राजस्थान की तुलना में कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ में ज्यादा बेहतर स्थिति में है. आम आदमी पार्टी के मैदान में उतरने से सत्ता विरोध वोट बंट सकते हैं, जिसका फायदा सत्तारूढ़ कांग्रेस को मिल सकता है.
गुजरात में AAP ने दी थी कांग्रेस को पटखनी
गुजरात में भी इसी तरह के नतीजे देखने को मिले. राज्य में आम आदमी पार्टी ने 13 फीसदी वोट हासिल करके मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को पटखनी दे दी और बीजेपी को ऐतिहासिक जीत से नवाज दिया. आम आदमी पार्टी ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ में भी कर सकती है, जिससे बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
केजरीवाल के बड़े दावे के बावजूद आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ में तीसरे खिलाड़ी के रूप में उभरने की कोशिश करेगी. गौर करने वाली बात यह है कि छत्तीसगढ़ वही राज्य है, जिसने अपने पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी को भी नकार दिया था. दरअसल, अजीत जोगी ने कांग्रेस छोड़ने के बाद अपनी जनता कांग्रेस पार्टी बनाकर 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा था.
छत्तीसगढ़ में कम है तीसरे मोर्चे की गुंजाइश
जोगी ने कड़वा सबक सीखा कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में तीसरे मोर्चे के लिए गुंजाइश बेहद कम है, क्योंकि उनकी पार्टी सिर्फ पांच सीटों पर जीत हासिल करने के साथ महज 5.5 फीसदी वोट हासिल कर पाई थी.केजरीवाल की रायपुर यात्रा और छत्तीसगढ़ की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की योजना का ऐलान करके बीजेपी को अपना मोर्चा मजबूत करने के लिए मजबूर कर दिया है. अब भगवा पार्टी का मकसद खुद को मजबूत करना और आम आदमी पार्टी के महत्वाकांक्षी कदम को विफल करना होगा.