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ओमिक्रॉन के खिलाफ कम होगा मौजूदा वैक्सीन का प्रभाव! जानें बूस्टर पर क्या बोले WHO एक्सपर्ट

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ओमिक्रॉन (Omicron) के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन का असर कम हो सकता है, लेकिन गंभीर बीमारी के खिलाफ ये मजबूत रहेंगी. इस बात की जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के SARSCoV-2 पर टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप के प्रमुख डॉक्टर अनुराग अग्रवाल (Dr. Anurag Agrawal) ने दी है. उन्होंने प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन को भी बूस्टर के लिए बेहतर विकल्प बताया है. भारत में हाल ही में बूस्टर को लेकर नीति की घोषणा की गई है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, डॉक्टर अग्रवाल ने समझाया कि डेल्टा के खिलाफ कोविशील्ड और कोवैक्सीन ने किस तरह काम किया था. उन्होंने कहा कि ये डेटा कुछ संकेत देता है कि कैसे मौजूदा वैक्सीन ओमिक्रॉन के खिलाफ काम कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि सीमित डेटा के आधार पर उनका मानना है कि प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन बूस्टर के लिए बेहतर हो सकती हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, सबयूनिट वैक्सीन में पैथोजन से प्रोटीन के फ्रैगमेंट्स होते हैं, जो असरदार इम्यून प्रक्रिया तैयार करने में मदद करते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि कम साइड इफेक्ट्स वाली ऐसी वैक्सीन को क्रोनिक बीमारी वाले मरीजों समेत बड़े समूह को लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि डेल्टा से पहले कोवैक्सीन और कोविशील्ड की प्रभावकारिता 75 से 80 प्रतिशत और गंभीर बीमारी के लिए 90 फीसदी तक समान थी.

टीओआई से बातचीत में डॉक्टर अग्रवाल ने बताया, ‘भारतीय स्वास्थ्यकर्मियों में ICMR और AIIMS की तरफ से प्री प्रिंट्स और पूर्ण प्रकाशन दिखाते हैं कि डेल्टा लहर के दौरान कोवैक्सीन असरदार रही, लेकिन पहले की तुलना में प्रभावकारिता कम रही. संक्रमण के लिए यह 50 फीसदी और गंभीर बीमारी के लिए 70 फीसदी रही.’ उन्होंने कहा, ‘उसी ICMR-AIIMS की स्टडी में गंभीर बीमारी के खिलाफ कोविशील्ड की प्रभावकारिता करीब 80 फीसदी थी.’

निष्क्रिय वायरस वैक्सीन बनाम स्पाइक प्रोटीन को लक्ष्य बनाने वाली वैक्सीन में से स्पाइक प्रोटीन वाली वैक्सीन ने बेहतर प्रदर्शन किया था. उन्होंने कहा कि मानना चाहिए कि संक्रमण के खिलाफ कोवैक्सीन की प्रभावकारिता ओमिक्रॉन के खिलाफ तेजी से घटेगी, लेकिन गंभीर बीमारियों के लिए तेज बनी रहेगी. डॉक्टर अग्रवाल ने बताया कि ओमिक्रॉन का सामना करने के लिए इम्यून प्रतिक्रिया को बहुत मजबूत होना चाहिए और इसे हाइब्रिड इम्युनिटी, इंफेक्शन प्लस वैक्सीनेशन या बूस्टर के जरिए हासिल किया जा सकता है.