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आज तीन दिवसीय पक्षी सर्वेक्षण का समापन, विशेषज्ञों ने कांगेर वैली में 200 प्रजातियों के हजारों पक्षियों का किया अवलोकन

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Bird Survey in Kanger Valley: कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में आज तीन दिवसीय पक्षी सर्वेक्षण का समापन हो गया। इस सर्वेक्षण के दौरान पक्षी विशेषज्ञों ने घाटी में लगभग 200 से अधिक पक्षियों की प्रजाति का अवलोकन किया। इस सर्वे के बाद पक्षी विशेषज्ञों का यही कहना था कि बस्तर पक्षियों का अनोखा संसार है इसे जरूर देखें व जाने।

Bird Survey in Kanger Valley: कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में आज तीन दिवसीय पक्षी सर्वेक्षण का समापन हो गया। इस सर्वेक्षण के दौरान पक्षी विशेषज्ञों ने घाटी में लगभग 200 से अधिक पक्षियों की प्रजाति का अवलोकन किया। सुबह से शाम तक लगभग 8 घण्टे पक्षियों को देखा समझा और उनके रहवास के बारे में बारीकी से जानकारी लिया। इस सर्वे के बाद पक्षी विशेषज्ञों का यही कहना था कि बस्तर पक्षियों का अनोखा संसार है इसे जरूर देखें व जाने।

कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी मिले
पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक बस्तर में पक्षियों के रहवास के लिए अनुकूल वातावरण पाया गया है। इसी वजह से यहां कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी देखे गए। जिनमे सफेद छाती किलकिला, कौडियाला किलकिला, ग़जपाव सहित अनेक दुर्लभतम पक्षी पाया गया जो सिर्फ बस्तर में ही देखे जा सकते हैं।
पर्यटकों के लिए बनेगा बर्ड वाचिंग रोडमेप
कांगेरघाटी में पक्षी सर्वे के बाद प्रबंधन यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए बर्ड वाचिंग रोडमेप बनाने की तैयारी में है जिसके चलते यहां पक्षी प्रेमियों को भारत के पश्चिमी घाट एवं पूर्वीय हिमालय में पाए जाने वाले पक्षियों को देख पाएंगे। इसके अलावा यहां पहुँचने वाले यूरोपीय देशों और सेंट्रल एशियाई देशों के पक्षियों को भी देखने की आसानी होगी। बस्तर में बर्ड वाचिंग की संभावना तलाशने के लिए कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन ने इस पहल की शुरुआत की और इसके सकारात्मक नतीजे अब तक सामने आए हैं। बस्तर में बड़े पैमाने पर प्रवासी पक्षियों के रहवास की पुष्टि पूर्व में होती रही है। मौजूदा सर्वे से इसे और बल मिलेगा।
पक्षियों का पसंदीदा जगह
पक्षी विशेषज्ञ हकीमुद्दीन सैफी के मुताबिक बस्तर के कांगेर घाटी उत्तर पूर्व से लेकर दक्षिण के केरला से लेकर कोंकण क्षेत्र के पक्षियों का पसंदीदा जगह है। यहां पर लगभग सभी स्थानों में इन स्थानों के पक्षियों का अनजान होता रहता है। खासकर मालाबारी ट्रोगोन, कलसिरी पीली बुलबुल, पिला राम गांगरा, काला बाजा, जर्डन बाजा सहित छोटा तोता बहुतायत संख्या में पाया गया है।

कांगेरघाटी पक्षियों का अनोखा संसार
सर्वेक्षण टीम में शामिल गुजरात के वीनस जोशी, बंगलुरू के मित्तल गाला, रायपुर के अशोक अग्रवाल, नीमच से आये इंद्रजीत सिंह ने बताया कि बस्तर दक्षिण घाट और पुर्वी भारत के पक्षियों का अनोखा संसार है। यहां सैकड़ों प्रजातियों की पक्षी प्रचुर मात्रा में पाई जा रही है।

कांगेरघाटी निदेशक धम्मशील गणवीर ने कहा, सर्वेक्षण से बस्तर में ईको-टूरिज्म के रोडमैप तथा कार्यक्रम बनाने में मदद मिलेगी। आने वाले समय मे बर्ड वॉचिंग के लिए पर्यटकों को नए अवसर मिलेंगे।

बस्तर उत्तर, दक्षिण व पूर्व का संगम
भुसावल महाराष्ट्र से आए पक्षियों के जानकार लक्ष्मीकांत नेगी ने बताया कि कांगेर घाटी दक्षिण और पूर्व का संगम है। यहाँ अधिकांश तौर पर गोर बेसरा के अलावा हिमाचल व दक्षिण में पाया जाने वाले पक्षियों का रहवास स्थान है। कांगेर वेली इन पक्षियों के लिए संगम का स्थान है।