जगदलपुर– रेल टिकटों की बिक्री के आधार पर स्टेशनों में ट्रेनों का स्टॉपेज तय करने की रेलवे की नीति बस्तर में लागू नहीं होगी। वाल्टेयर रेलमंडल ने रेलवे बोर्ड को पत्र भेजकर बस्तर को रेलवे की नई प्रस्तावित नीति में छूट देने का प्रस्ताव दिया है। इस पर अभी कोई फैसला नहीं आया है पर माना जा रहा है कि नक्सल प्रभावित इलाका होने तथा दक्षिण बस्तर में एक ही पैसेंजर ट्रेन का परिचालन होने से रेलवे बोर्ड प्रस्ताव मान जाएगा। सड़क मार्ग से यहां स्टेशनों की लंबी दूरी और जंगली क्षेत्रों में स्थित होने को प्रमुख आधार बताते छूट का प्रस्ताव दिया गया है।
ज्ञात हो कि रेलवे नफा नुकसान के आधार पर ट्रेनों को चलाने पर काम कर रही है। इसमें कम आमदनी वाले ऐसे स्टेशन जहां यात्री टिकटों की बिक्री नही के बराबर है या फिर काफी कम संख्या में टिकटे बेची जाती हैं वहां ट्रेनें रूके बिना ही आगे निकल जाएंगी। इसके तहत पूरे देश में ऐसी ट्रेनों का डाटा बेस तैयार किया जा रहा है, जिनका काफी समय से स्टेशनों में ठहराव तो हो रहा है पर यात्री नहीं मिल रहे हैं। ऐसे स्टेशनों की सूची जनता के बीच लाकर फीडबैक के आधार पर ट्रेनों का ठहराव बंद करने संबंधी निर्णय लिए जाने की कवायद चल रही है। इसी के तहत दो माह पहले किरंदुल-कोत्तावालसा रेललाइन के स्टेशनों से भी टिकटों की बिक्री के पिछले तीन सालों के रिकार्ड मंगाए गए थे। पिछले माह इससे संबंधित रिपोर्ट वाल्टेयर रेलमंडल को भेजी गई थी जिस पर मंडल प्रशासन ने ईस्ट कोस्ट रेल जोन भुवनेश्वर के माध्यम से रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेज दी है। रिपोर्ट के अनुसार काकलूर, मारेंगा, नक्टीसेमरा, कमलूर, भांसी, कुम्हारसोडरा आदि एक दर्जन से अधिक स्टेशन ऐसे बताए गए हैं जहां टिकटों की बिक्री नहीं के बराबर या फिर बिल्कुल भी नहीं है।
दक्षिण बस्तर में सिर्फ दो यात्री ट्रेनें
जगदलपुर से कोरापुट की ओर जगदलपुर-हावड़ा समलेश्वरी एक्सप्रेस, जगदलपुर-राउरकेला, जगदलपुर-भुवनेश्वर तीन ट्रेनें छूटती हैं। दो ट्रेनें किरंदुल-विशाखापट्टनम नाइट एक्सप्रेस और किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर ट्रेन दक्षिण बस्तर के किरंदुल से छूटती हैं। इनमें एकमात्र पैसेंजर ट्रेन ही ऐसी है जो किरंदुल से विशाखापट्टनम तक सभी 52 स्टेशनों में रूकती है। एक सितंबर 1976 को शुरू हुई पैसेंजर ट्रेन दक्षिण बस्तर के रेल यात्रियों के लिए सबसे सुविधाजनक है। किरंदुल-कोत्तावालसा रेललाइन दक्षिण बस्तर में डिलमिली से किरंदुल तक कई ऐसे क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं जो सड़क यात्री परिवहन सुविधा से आजादी के इतने सालों बाद भी दूर हैं। इस इलाके में काकलूर, कावड़गांव, सिलकझोड़ी, कमलूर, कुम्हारसोडरा आदि स्टेशन मुख्य सड़क मार्ग से पांच से 20 किलोमीटर तक दूर जंगल में स्थित हैं।
वर्सन
दो माह पहले वाल्टेयर रेलमंडल ने स्टेशनों से टिकटों की बिक्री के आंकड़े मांगे थे। रिपोर्ट तैयार कर भेजी जा चुकी है। साथ ही बस्तर की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ट्रेन के स्टॉपेज की जरूरत भी रेखांकित की गई है।